Shukra Mahadasha: कितने साल तक चलती है शुक्र की महादशा और कैसे करें दैत्यों के गुरु को प्रसन्न?
ज्योतिषियों की मानें तो वर्तमान समय में शुक्र देव मीन राशि में विराजमान हैं। मई महीने में शुक्र देव राशि परिवर्तन करेंगे। बुध देव 31 मई को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर (Shukra Gochar 2025) करेंगे। शुक्र देव वृषभ और मिथुन राशि के स्वामी हैं। मीन राशि के जातकों पर शुक्र देव की विशेष कृपा बरसती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार का दिन देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन देवी मां लक्ष्मी, कुबेर और शुक्र देव की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए वैभव लक्ष्मी व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से आर्थिक तंगी दूर होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होने के सुखों में वृद्धि होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि शुक्र की महादशा (Shukra ki Mahadasha) कितने साल तक चलती है और दैत्यों के गुरु शुक्र देव को कैसे प्रसन्न करें? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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शुक्र की महादशा
ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र की महादशा 20 साल तक चलती है। इस दौरान सबसे पहले शुक्र की अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चलती है। इसके बाद शुभ और अशुभ ग्रहों की अंतर्दशा एवं प्रत्यंतर दशा चलती है। शुक्र की अंतर्दशा तीन साल तीन महीने तक रहती है। इसके बाद सूर्य की अंतर्दशा चलती है। शुक्र की महादशा में शुभ ग्रहों की अंतर्दशा के दौरान जातक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। वहीं, शत्रु और पापी ग्रहों की अंतर्दशा में जातक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शुक्र देव को कैसे प्रसन्न करें?
- शुक्र देव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार और शुक्रवार के दिन देवों के देव महादेव की पूजा करें। पूजा के समय गाय के कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें। आप चाहे तो दही, घी और पंचामृत से भी भगवान शिव का अभिषेक कर सकते हैं।
- सोमवार और शुक्रवार के दिन सफेद रंग के कपड़े पहनें। साथ ही चावल, आटा, मैदा, दूध, दही, नमक, चीनी आदि का दान करें। इन चीजों के दान से कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है।
- शुक्रवार के दिन शुक्र मंत्र का जप करें। साथ ही पूजा के समय गन्ने के रस में शहद और सुगंध मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से भी सुखों में वृद्धि होती है।
शिव मंत्र
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।
2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
5. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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