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    Yogini Ekadashi 2024: आज मनाई जाएगी योगिनी एकादशी, नोट करें पूजा विधि और भोग से लेकर सबकुछ

    Updated: Tue, 02 Jul 2024 07:00 AM (IST)

    योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन श्री हरि की पूजा करने से सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। इसके साथ ही इस दिन का उपवास बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इस साल योगिनी एकादशी 02 जुलाई यानी आज मनाई जा रही है तो चलिए इस दिन से जुड़ी संपूर्ण महत्वपूर्ण बातों को यहां जानते हैं।

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    Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी संपूर्ण की जानकारी।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बड़ा धार्मिक महत्व है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि अनुसार पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है कि एकादशी का दिन श्री हरि की पूजा के लिए खास होता है। ऐसे में जो लोग लगातार समस्याओं से घिरे हुए हैं, उन्हें इस दिव्य व्रत का पालन जरूर करना चाहिए।

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    इस बार यह व्रत (Yogini Ekadashi 2024) 2 जुलाई, 2024 यानी आज रखा जा रहा है, तो चलिए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

    पारण का समय

    इस व्रत का पारण 3 जुलाई सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 07 बजकर 10 मिनट तक के बीच होगा।

    शुभ रंग - पीला।

    प्रिय भोग - धनिया की पंजीरी और पंचामृत।

    प्रिय पुष्प - कमल, कदंब, अपराजिता।

    योगिनी एकादशी सामग्री लिस्ट

    वेदी, पीला या लाल वस्त्र, ऋतु फल, दूध-दही, शहद, गोपी चंदन, हल्दी, फूल, लौंग, आम का पत्ता, नारियल और सुपारी, पान, धूप, दीप, दीया, घी, पीला चंदन, अक्षत, कुमकुम मिठाई, तुलसी दल, पंचमेवा, धूप, दीपक, बत्ती, गंगाजल, शुद्ध जल, हवन कुंड, हवन सामग्री, एकादशी कथा की पुस्तक, देवी लक्ष्मी के लिए शृंगार की सामग्री।

    पूजा विधि

    सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें। घर और पूजा कक्ष को अच्छी तरह साफ करें। एक वेदी पर पीला वस्त्र बिछाएं और भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। उनका पंचामृत से अभिषेक करें। पीला वस्त्र अर्पित करें। गोपी चंदन और हल्दी का तिलक लगाएं। धनिया की पंजीरी, पंचामृत, पीले फल और मिठाई का भोग लगाएं। देसी घी का दीपक जलाएं और पीले फूलों की माला अर्पित करें। वैदिक मंत्रों का जाप करें। विधि अनुसार हवन करें।

    पूजा का समापन आरती से करें। तुलसी दल जरूर अर्पित करें, क्योंकि इसके बिना श्री हरि अपनी पूजा स्वीकार्य नहीं करते हैं। चावल के सेवन से बचें। तामसिक चीजों से परहेज करें। अगले दिन सुबह पूजा के बाद व्रत का पारण करें।

    श्री हरि पूजन मंत्र

    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
    • ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।