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    Varuthini Ekadashi 2025: वरूथिनी एकादशी पर लाभ देंगे तुलसी से जुडे़ ये काम, बनी रहेगी श्रीहरि कृपा

    Updated: Wed, 16 Apr 2025 10:26 AM (IST)

    हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष में वरूथिनी एकादशी का व्रत किया जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी गई है। कई साधक इस दिन पर व्रत भी करते हैं जो बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। ऐसे में आप विष्णु जी की कृपा के लिए एकादशी पर तुलसी से जुड़े ये काम जरूर करें।

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    Varuthini Ekadashi 2025 तुलसी से संबंधित नियम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, इस बार वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025) का व्रत 24 अप्रैल को किया जाएगा। एकादशी के दिन तुलसी का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में रूथिनी एकादशी के दिन तुलसी से संबंधित कुछ नियमों का ध्यान रखकर भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा के पात्र बन सकते हैं।

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    मिलेगी विष्णु जी की कृपा

    भगवान विष्णु का भोग तुलसी के बिना अधूरा माना जाता है। ऐसे में एकादशी के दिन विष्णु जी के भोग में तुलसी जरूर शामिल करें। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना वर्जित होता है, ऐसे में आप एक-दो दिन पहले ही तुलसी के पत्ते उतारकर रख सकते हैं।

    जरूर करें ये काम

    एकादशी के दिन शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक भी जलाएं और तुलसी मंत्रों का जाप कर आरती करें। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और साधक को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आप पूजा के दौरान तुलसी जी के इन मंत्रों का जप कर सकते हैं -

    1. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

    2. तुलसी नामाष्टक मंत्र -

    वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

    एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

    (Picture Credit: Freepik)

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    भूलकर भी न करें ये काम

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी तिथि पर तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए और न ही इस दिन पर तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए। इसी के साथ तुलसी के आस-पास साफ-सफाई का भी पूरा ध्यान रखें।

    तुलसी को गंदे या फिर जूठे हाथों से नहीं छूएं। इन सभी नियमों को नरजअंदाज करने से आपका एकादशी व्रत खंडित हो सकता है। अगर आप एकादशी व्रत नहीं भी करते हैं, तब भी इन नियमों का ध्यान रखना जरूरी है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।