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    Varuthini Ekadashi 2025 Date: कब है वरूथिनी एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    वरूथिनी एकादशी (Varuthini Ekadashi 2025 Date) की रात्रि में जागरण करने का विधान है। साथ ही संध्याकाल में आरती के बाद भजन कीर्तन या नाम जप करना चाहिए। भगवान विष्णु की कृपा बरसने से साधक को स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और जगत की देवी मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 19 Mar 2025 12:30 PM (IST)
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    Varuthini Ekadashi 2025 Date: वरूथिनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Varuthini Ekadashi 2025 Date: सनातन धर्म में वरूथिनी एकादशी का खास महत्व है। यह पर्व हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है।

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    धार्मिक मत है कि वरूथिनी एकादशी व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। वहीं, मृत्यु उपरांत साधक को वैकुंठ लोक में स्थान मिलता है। आइए, वरूथिनी एकादशी की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    वरूथिनी एकादशी शुभ मुहूर्त (Varuthini Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल को शाम 04 बजकर 43 मिनट से होगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 24 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए 24 अप्रैल को वरूथिनी एकादशी मनाई जाएगी।

    वरूथिनी एकादशी पारण समय

    वरूथिनी एकादशी का पारण 25 अप्रैल को किया जाएगा। पारण का समय 25 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 23 मिनट तक है। इस दौरान व्रती स्नान ध्यान के बाद विधिवत लक्ष्मी नारायण की पूजा कर व्रत खोल सकते हैं। वहीं, पूजा के बाद अन्न और धन का दान करें।

    वरूथिनी एकादशी शुभ योग (Varuthini Ekadashi Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो वरूथिनी एकादशी पर ब्रह्म और इन्द्र योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शिववास योग भी है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। वहीं, एकादशी के दिन शतभिषा और पूर्व भाद्रपद नक्षत्र का संयोग है। इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में अपार वृद्धि होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 47 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 52 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 51 मिनट से 07 बजकर 13 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।