Shattila Ekadashi 2025: षटतिला एकादशी पर क्यों है तिल का इतना महत्व, जरूर करें ये 6 काम
षटतिला एकादशी शनिवार 25 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2025) का तिल से एक खास संबंध माना जाता है। इस तिथि पर तिल का खासतौर से इस्तेमाल किया जाता है वरना साधक को षटतिला एकादशी का व्रत करने का पूर्ण फल नहीं मिलता। ऐसे में चलिए जानते हैं षटतिला एकादशी पर तिल का इतना महत्व क्यों माना गया है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है षटतिला, जिसमें‘षट’ का अर्थ है छः और ‘तिला’ का अर्थ है तिल। ऐसा कहा जाता है कि इस पर अगर आप छः प्रकार से तिल का उपयोग करते हैं, तो इससे साधक के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे में चलिए जानते हैं वह कार्य कौन-से हैं।
कैसे करें उपयोग
षटतिला एकादशी पर तिल से संबंधित 06 उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करने से साधक को भगवान विष्णु के साथ-साथ लक्ष्मी जी की भी कृपा की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से दरिद्रता दूर हो जाती है। षटतिला एकादशी पर तिल से संबंधित ये 06 काम जरूर करने चाहिए -
- पानी में तिल मिलाकर स्नान करना
- तिल का उबटन लगाना
- हवन में तिल का इस्तेमाल करना
- तिल द्वारा तर्पण करना
- तिल को अपने भोजन में शामिल करना
- अपनी क्षमता के अनुसार तिल का दान करना
कर सकते हैं ये कार्य
षटतिला एकादशी पर आप इन 06 कामों के अलावा तिल से जुड़े कुछ और उपाय भी कर सकते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठने के बाद स्नान आदि करें। इसके बाद गंगाजल में तिल मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसी के साथ भगवान विष्णु को भी तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं। इन उपायों को करने से आपको व्रत का दोगुना फल प्राप्त हो सकता है।
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(Picture Credit: Freepik)
षटतिला एकादशी का महत्व
पूरे विधि-विधान से षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और गरीब लोगों में तिल का दान करने से साधक के जीवन में दुर्भाग्य के साथ-साथ दरिद्रता भी दूर होती है। इसी के साथ प्रभु श्रीहरि की कृपा से साधक को सभी कष्टों से मुक्ति मिलत है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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