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    Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी कब है? एक क्लिक में नोट करें शुभ मुहूर्त और योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 21 May 2025 08:30 PM (IST)

    भविष्य पुराण में सावन पुत्रदा एकादशी (Sawan Putrada Ekadashi 2025) व्रत का वर्णन है। इस व्रत को करने से साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में सुखों का संचार होता है। साथ ही मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है।

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    Putrada Ekadashi 2025: पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जगत के पालनहार भगवान विष्णु को सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समर्पित है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी के निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से निसंतान दंपती को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

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    नवविवाहित दंपती भी संतान सुख के लिए पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। पुत्रदा एकादशी करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों का नाश होता है। आइए, सावन पुत्रदा एकादशी (Shravana Putrada Ekadashi 2025) की तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त (Putrada Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 04 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 05 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर  सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना होती है। इसके लिए 05 अगस्त को सावन पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। इस तिथि पर साधक व्रत रख विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं।

    पुत्रदा एकादशी पारण (Putrada Ekadashi Paran Timing)

    सामान्य जन 06 अगस्त को सुबह 05 बजकर 45 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 26 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं। इस दौरान साधक स्नान-ध्यान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करें। वहीं, पूजा के बाद अन्न का दान कर व्रत खोलें।

    पुत्रदा एकादशी शुभ योग (Putrada Ekadashi Shubh Yoga)

    ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर रवि योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। भद्रावास योग सुबह 11 बजकर 23 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा पाताल में रहेंगी। इसके अलावा, भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर
    • चन्द्रास्त- देर रात 02 बजकर 27 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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