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    Sawan Putrada Ekadashi 2024: सावन माह में कब और क्यों मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी ?

    सावन पुत्रदा एकादशी (Sawan Putrada Ekadashi 2024) व्रत की महिमा भविष्य पुराण में निहित है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को समस्त प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक ही हर मनोकामना भी पूरी होती है। अत एकादशी तिथि पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 05 Aug 2024 07:54 PM (IST)
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    Sawan Putrada Ekadashi 2024: सावन पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shravana Putrada Ekadashi 2024: सनातन धर्म में एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक को न केवल अक्षय फल की प्राप्ति होती है, बल्कि मृत्यु उपरांत बैकुंठ लोक की भी प्राप्ति होती है। अतः साधक श्रद्धा भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा-उपासना करते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सावन पुत्रदा एकादशी पर विधि-विधान से भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करें। आइए, सावन पुत्रदा एकादशी की तिथि एवं शुभ महूर्त जानते हैं-

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    पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

    सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 15 अगस्त को सुबह 10 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 16 अगस्त को सुबह 09 बजकर 39 मिनट पर है। सनातन धर्म में उदया तिथि की गणना होती है। अत: 16 अगस्त को सावन पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। इस तिथि पर साधक व्रत रखकर विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं। वहीं, पारण 17 अगस्त को किया जाएगा। इस दिन साधक प्रातः काल 05 बजकर 51 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 05 मिनट के मध्य व्रत खोल या तोड़ सकते हैं।

    कब और क्यों मनाई जाती है?

    भविष्य पुराण में सावन पुत्रदा एकादशी का वर्णन निहित है। इस शास्त्र के अनुसार, राजा महीजित महिष्मती को कोई संतान थी। उस समय उन्होंने ऋषि की सलाह पर सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखा था। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से राजा महीजित महिष्मती को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी। तत्कालीन समय से यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस तिथि पर वैष्णव समाज के अनुयायी भगवान विष्णु की विशेष पूजा करते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।