Saphala Ekadashi 2024 Yog: इन 2 योग में मनाई जाएगी सफला एकादशी, प्राप्त होगा अक्षय फल
सनातन धर्म में पौष महीने का विशेष महत्व है। यह महीना सूर्य देव को समर्पित होता है। इस महीने में सफला एवं पौष पुत्रदा एकादशी (Saphala Ekadashi 2024 Yog) मनाई जाती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर वर्ष पौष माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन सफला एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। साधक श्रद्धा भाव से एकादशी तिथि पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो सफला एकादशी (Saphala Ekadashi 2024 Yog) के दिन दुर्लभ सुकर्मा एवं शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
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सफला एकादशी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 दिसंबर को देर रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगी। वहीं, पौष एकादशी तिथि का समापन 27 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 43 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्य के उगने यानी सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है। अतः 26 दिसंबर को सफला एकादशी मनाई जाएगी। साधक 26 दिसंबर को सफला एकादशी का व्रत रख सकते हैं। वहीं, 27 दिसंबर को सफला एकादशी व्रत का पारण कर सकते हैं। साधक 27 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से लेकर 09 बजकर 16 मिनट के मध्य पूजा-पाठ के बाद अन्न दान कर व्रत का पारण कर सकते हैं।
शुभ योग
पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर सुकर्मा योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष सुकर्मा योग को बेहद शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। इसके साथ ही सुकर्मा योग में कार्य करने से सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है। सुकर्मा योग का समापन सफला एकादशी को रात 10 बजकर 24 मिनट पर होगा। इस योग के अलावा, दुर्लभ शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। इस समय में जगत के नाथ भगवान विष्णु एवं मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 12 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 32 मिनट पर
चन्द्रोदय- ब्रह्म बेला 03 बजकर 48 मिनट पर (27 नवंबर)
चंद्रास्त- दोपहर 01 बजकर 52 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 06 बजकर 17 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 05 मिनट से 02 बजकर 47 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 29 मिनट से 05 बजकर 57 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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