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    Putrada Ekadashi 2025: कब और क्यों मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी? नोट करें सही डेट एवं मुहूर्त

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 25 Dec 2024 03:26 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो पौष पुत्रदा एकादशी पर कई मंगलकारी बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही घर में खुशियों का आगमन होगा। इस व्रत की महिमा का गुणगान शास्त्रों में निहित है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु देव दर्शन के लिए मंदिर जाते हैं।

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    Pausha Putrada Ekadashi 2025: पौष पुत्रदा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन पूर्णतया जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। एक साल में 24 एकादशी मनाई जाती है। अधिकमास होने पर एकादशी की संख्या 26 होती है। इनमें पुत्रदा एकादशी, निर्जला एकादशी, इंदिरा एकादशी, देवशयनी एकादशी एवं देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है। इस शुभ अवसर पर श्रीहरि नारायण जी की विधि विधान से पूजा भक्ति की जाती है। धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत करने से साधक को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि कब और क्यों पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2025) मनाई जाती है और साल 2025 में कब पौष पुत्रदा एकादशी है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

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    कब मनाई जाएगी पुत्रदा एकादशी?

    विष्णु पुराण के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। अगले साल यानी 2025 में 10 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। इस व्रत को करने से निसंतान दंपति एवं नवविवाहित साधकों को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।

    पौष पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 09 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 22 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, पौष पुत्रदा एकादशी तिथि का समापन 10 जनवरी को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्य उगने के बाद से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 10 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। साधक स्थानीय यानी लोकल पंडित जी से पंचांग दिखाकर भी सही डेट जान सकते हैं। साधक स्थानीय पंचांग के अनुसार व्रत रख सकते हैं।

    पौष पुत्रदा एकादशी की कथा 

    सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि राजा सुकेतुमान को कोई संतान नहीं थी। इसके लिए राजा सुकेतुमान और रानी शैब्या दुखी रहते थे। उन्हें यह दुख सता रहा था कि मृत्यु उपरांत उनके पूर्वजों का उद्धार कौन करेगा? कौन उनके पूर्वजों को मोक्ष दिलाएगा। उत्तराधिकारी न होने के चलते उनके पूर्वजों को दर-दर भटकना पड़ेगा। उनकी आत्माओं को न शांति मिलेगी और न ही मोक्ष की प्राप्ति होगी।

    यह सब सोच राजा सुकेतुमान राजपाट त्याग कर वन में चले गये। वन में उनकी मुलाकात ऋषियों से हुई। उस समय राजा सुकेतुमान ने अपनी व्यथा (परेशानी) सुनाई। तब ऋषियों ने राजा सुकेतुमान को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी। यह जान राजा सुकेतुमान पुनः अपने राज्य लौट आये। इसके बाद राजा सुकेतुमान और रानी शैब्या ने पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रख भगवान विष्णु की पूजा करें। कालांतर में राजा सुकेतुमान को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। उस समय से यह पर्व हर वर्ष पौष महीने में मनाया जाता है।

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    डिसक्लेमर:'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'