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    Parivartini Ekadashi 2024: बहुत ही सरल है परिवर्तिनी एकादशी की पूजा विधि, व्रत करने से पापों से मिलेगी मुक्ति

    Updated: Mon, 09 Sep 2024 04:42 PM (IST)

    भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष 14 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi 2024 Date) व्रत किया जाएगा। अगर आप जीवन के पापों से मुक्ति पाना चाहते हैं तो परिवर्तिनी एकादशी व्रत जरूर करें। इस व्रत को करने से सभी पाप दूर होते हैं और श्री हरि प्रसन्न होते हैं।

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    Lord Vishnu: ऐसे करें भगवान विष्णु की उपासना

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन शास्त्रों में परिवर्तिनी एकादशी के महत्व का विशेष उल्लेख किया गया है। इस खास अवसर पर भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की उपासना की जाती है। साथ ही जीवन के पापों से छुटकारा पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। मान्यता है कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन विधिपूर्वक श्रीहरि की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। चलिए इस लेख में जानते हैं कि परिवर्तिनी एकादशी (Parivartini Ekadashi Puja Vidhi) पर किस तरह प्रभु की उपासना करना जातक के लिए फलदायी साबित होगा।

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    परिवर्तिनी एकादशी शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी (Parivartini Ekadashi Shubh Muhurat) तिथि शनिवार 13 सितंबर को रात 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन रविवार 14 सितंबर को रात 08 बजकर 41 मिनट पर होगा। ऐसे में 14 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत किया जाएगा।

    एकादशी व्रत का पारण अगले दिन यानी द्वादशी में किया जाता है। 15 सितंबर को परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण (Parivartini Ekadashi Vrat Paran Time) सुबह 06 बजकर 06 मिनट से लेकर 08 बजकर 34 मिनट तक कर सकते हैं।

    यह भी पढ़ें: Parivartini Ekadashi 2024: परिवर्तिनी एकादशी के दिन इस कथा का जरूर करें पाठ, तभी मिलेगा व्रत का फल

    ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा

    • परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत विष्णु जी के ध्यान से करें।
    • इसके बाद स्नान कर पीले वस्त्र धारण करें।
    • मंदिर की सफाई करें।
    • सच्चे मन से व्रत का संकल्प लें।
    • इसके बाद चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित करें।
    • अब फूलमाला अर्पित करें।
    • घी का दीपक जलाएं और विधिपूर्वक आरती करें। प्रभु के मंत्रो का जप भी करना चाहिए।
    • विष्णु चालीसा और व्रत कथा का पाठ करें।
    • प्रभु को पंचामृत और फल समेत आदि चीजों का भोग लगाएं।
    • व्रत का पारण द्वादशी तिथि में करें।

    इन मंत्रों का करें जप

    1. ऊँ श्री त्रिपुराय विद्महे तुलसी पत्राय धीमहि तन्नो: तुलसी प्रचोदयात।

    2. ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

    3. तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया ।।

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।