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    Mokshada Ekadashi 2024: कब है मोक्षदा एकादशी व्रत? इस शुभ मुहूर्त में करें भगवान विष्णु की पूजा

    एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है। ऐसा माना जाता है कि विशेष पूजा न करने से जातक को व्रत का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है तो चलिए मोक्षदा एकादशी व्रत (Mokshada Ekadashi Vrat 2024) से पहले जान लेते हैं कि श्रीहरि की पूजा विधि के बारे में जिससे विष्णु प्रसन्न होंगे और जातक की सभी मुरादें पूरी होंगी।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 27 Nov 2024 01:50 PM (IST)
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    Lord Vishnu: इस सरल विधि से करें श्रीहरि की पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मोक्षदा एकादशी तिथि को उत्तम माना जाता है। इस व्रत को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर किया जाता है। साथ ही जातक पूर्वजों की मोक्ष प्राप्ति के लिए व्रत भी करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि व्रत को करने से पापों का नाश होता है। इसके अलावा साधक को संतान और धन की प्राप्ति होती है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसी वजह से मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती का पर्व भी मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi Vrat 2024) का शुभ मुहूर्त और व्रत पारण के समय के बारे में।

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    मोक्षदा एकादशी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Mokshada Ekadashi 2024 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि की शुरुआत 11 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 42 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 12 दिसंबर को देर रात्रि 01 बजकर 09 मिनट पर होगा। इस प्रकार मोक्षदा एकादशी व्रत 11 दिसंबर (Kab Hai Mokshada Ekadashi 2024) को किया जाएगा। व्रत का पारण करने का समय 12 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 05 मिनट से लेकर 09 बजकर 09 मिनट तक है।

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    मोक्षदा एकादशी 2024 व्रत पारण समय (Mokshada Ekadashi 2024 Vrat Parana Time)

    एकादशी तिथि का पारण द्वादशी तिथि में किया जाता है। मोक्षदा एकादशी का पारण 27 नवंबर को सुबह 07 बजकर 05 मिनट से लेकर 09 बजकर 09 मिनट के बीच कर सकते हैं। व्रत का पारण करने के बाद दान जरूर करना चाहिए।

    मोक्षदा एकादशी पूजा विधि (Mokshada Ekadashi Puja Vidhi)

    • मोक्षदा एकादशी के दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें।
    • स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है।
    • चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर विष्णु जी और मां लक्ष्मी की प्रतिमा को विराजमान करें।
    • अब उन्हें पीले चंदन और हल्दी कुमकुम का तिलक अर्पित करें।
    • देवी लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं।
    • दीपक जलाकर आरती करें और मंत्र का जाप करें।
    • व्रत कथा का पाठ करें।
    • केले, मिठाई और पंचामृत का भोग अर्पित करें।
    • अगले दिन व्रत का पारण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।