Jaya Ekadashi 2025: जया एकादशी पर जरूर करें तुलसी के ये उपाय, मिलेगा दोगुना फल
माघ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2025) के नाम से जाना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से प्रभु श्रीहरि और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना का विधान है। साथ ही आप इस शुभ तिथि पर तुलसी पूजन द्वारा भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं एकादशी पर तुलसी संबंधित कुछ नियम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान विष्णु को प्रिय मानी गई तुलसी का महत्व एकादशी के दिन और भी बढ़ जाता है। ऐसे में आप इस खास दिन पर तुलसी से जुड़े कुछ उपाय (Ekadashi 2025 Tulsi Upay) कर सकते हैं, जिससे आपको तुलसी जी की कृपा तो प्राप्त होगी ही, साथ ही आपके ऊपर प्रभु श्रीहरि और माता लक्ष्मी की भी विशेष कृपा बनी रहेगी।
षटतिला एकादशी का शुभ मुहूर्त (Jaya Ekadashi Muhurat)
माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 07 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट से रही है। वहीं इस तिथि का समापन 08 फरवरी को रात 08 बजकर 15 मिनट पर होगा। इस प्रकार उदया तिथि को देखते हुए जया एकादशी का व्रत शनिवार, 08 फरवरी को रखा जाएगा।
जरूर करें ये काम
भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय मानी गई है। ऐसे में एकादशी के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करने चाहिए, तभी उनका भोग पूजा माना जाता है। इससे साधक के जीवन में आ रहे कष्ट धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं।
इस तरह करें पूजा
एकादशी के दिन तुलसी पूजा (Jaya Ekadashi Tulsi puja) करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी के पास घी का दीपक जरूर जलाएं। इसके बाद तुलसी माता को लाल चुनरी, सिंदूर, रोली, और नैवेद्य आदि अर्पित करें और 11 या फिर 21 बार तुलसी की परिक्रमा करें। साथ ही इन दिन मां लक्ष्मी की कृपा के लिए तुलसी में लाल रंग का कलावा भी जरूर बांधें।
ध्यान रखें ये बातें
एकादसी के दिन इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी में भूल से भी जल अर्पित नहीं करना चाहिए। इसी के साथ न तो इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ें और न ही तुलसी को किसी तरह का नुकसान पहुचाएं। इस बातों का ध्यान रखने से साधक को जीवन में शुभ परिणाम देखने को मिलते हैं।
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तुलसी जी के मंत्र -
एकादशी के दिन तुलसी के दौरान तुलसी जी के मंत्रों का जप भी जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से साधक को तुलसी माता के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है।
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी गायत्री -
ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
तुलसी स्तुति मंत्र -
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र -
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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