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    Jaya Ekadashi 2025: इस आरती के बिना अधूरा है एकादशी व्रत, जरूर करें पाठ

    एकादशी व्रत हर माह में दो बार किया जाता है। माघ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाला जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2025) का व्रत इस बार शनिवार 08 फरवरी को किया जा रहा है। माना जाता है कि इस दिन प्रभु श्रीहरि की उपासना करने से साधक के सभी मनोरथ पूरे होते हैं और उसे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 08 Feb 2025 08:08 AM (IST)
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    Jaya Ekadashi 2025 एकदशी माता की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना गया है, साथ ही यह तिथि भगवान विष्णु को भी प्रिय मानी गई है। एकादशी का व्रत (Jaya Ekadashi 2025 February) भगवान विष्णु और एकादशी माता की आरती के बिना अधूरा माना गया है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं एकादशी की यह आरती।

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    विष्णु जी की आरती (Vishnu Ji ki Aarti)

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

    भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

    जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

    सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

    तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

    पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

    तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

    दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

    विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

    तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

    तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

    जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

    एकादशी को भगवान विष्णु की प्रिय तिथि माना जाता है। ऐसे में इस दिन व्रत और विष्णु जी की पूजा-अर्चना करने से साधक को प्रभु श्रीहरि की असीम कृपा की प्राप्ति होती है।

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    एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Ki Aarti)

    ओम जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।

    विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता

    ।। ओम जय एकादशी माता।।

    तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

    गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ओम।।

    मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

    शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।

    पौष के कृष्ण पक्ष की, सफला नामक है,

    शुक्ल पक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।

    नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

    शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।

    विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

    पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।

    चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

    नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।

    शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

    नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।

    योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

    देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।

    कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

    श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।

    अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

    इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।

    पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

    रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।

    देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

    पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।

    परमा कृष्ण पक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

    शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।

    जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

    जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।