Indira Ekadashi 2025: 84 साल बाद इंदिरा एकादशी पर बन रहा दुर्लभ महासंयोग, पितरों की कृपा से चमकेगा सोया भाग्य
इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2025) पर शिव योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल मिलेगा। साथ ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होगी। एकादशी व्रत करने से घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व जगत के पालनहार भगवान विष्णु को पूर्णतया समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर साधक स्नान-ध्यान के बाद लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो दशकों बाद इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) पर दुर्लभ महासंयोग बन रहा है। यह संयोग साल 1941 समान है। आसान शब्दों में कहें तो दिन, नक्षत्र, संयोग, पूजा का समय लगभग समान है। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत बुधवार 17 सितंबर (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार यानी 16 सितंबर की रात) को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर होगी। वहीं, 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। आसान शब्दों में कहें तो सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।
इंदिरा एकादशी शुभ योग (Indira Ekadashi 2025 Shubh Yog)
इंदिरा एकादशी के दिन परिघ योग (Parigh Yog) का संयोग बन रहा है। परिघ योग का समापन 17 सितंबर को देर रात 10 बजकर 55 मिनट पर होगा। इसके बाद शिव योग का निर्माण होगा। वहीं, शिववास (Shivvas Yog) का संयोग देर रात 11 बजकर 39 मिनट तक है। इस दौरान भगवान शिव कैलाश पर मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इस दिन पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra Muhurat) दिन भर है। जबकि बव, बालव और कौलव करण के संयोग बन रहे हैं।
साल 1941 का पंचांग
वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, साल 1941 में बुधवार 17 सितंबर के दिन इंदिरा एकादशी मनाई गई थी। इस दिन एकादशी का संयोग शाम 04 बजकर 26 मिनट तक था। वहीं, एकादशी तिथि की शुरुआत 16 सितंबर को शाम 04 बजकर 19 मिनट पर हुई थी।
परिघ योग का संयोग 17 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 58 मिनट पर हुआ था। पुष्य नक्षत्र रात 10 बजकर 56 मिनट तक था। वहीं, बालव और कौलव करण संयोग बने थे। कुल मिलाकर कहें तो 84 साल बाद समान दिन, समय, नक्षत्र और संयोग में इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।
यह भी पढ़ें- Indira Ekadashi पर जरूर करें भगवान विष्णु के नामों का जप, दूर होगी हर बाधा
यह भी पढ़ें- Indira Ekadashi 2025: विष्णु जी के इन मंत्रों के जप से मिलेगी पितृ कृपा, दूर होंगे सारे कष्ट
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।