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    Devshayani Ekadashi 2024: देवशयनी एकादशी पर जरूर करें एकादशी माता की आरती, हर इच्छा की होगी पूर्ति

    Updated: Wed, 17 Jul 2024 07:30 AM (IST)

    एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की आराधना के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन साधक भगवान विष्णु के निमित्त व्रत आदि करते हैं। ऐसे में एकादशी के शुभ अवसर पर एकादशी माता की आरती जरूर करनी चाहिए। इससे साधक पर भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है। आइए पढ़ते हैं एकादशी माता की आरती।

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    Ekadashi Mata Ki Aarti देवशयनी एकादशी पर जरूर करें एकादशी माता की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। यह वह तिथि है जब भगवान विष्णु चार महीने के लिए शयनकाल में चले जाते हैं। इसके बाद वह कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी पर पुनः निद्रा से जागते हैं। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी भी कहा जाता है। इस विशेष तिथि पर आप एकादशी माता की आरती जरूर करें।

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    एकादशी माता की आरती

    ओम जय एकादशी माता, मैया जय जय एकादशी माता।

    विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।।

    ओम जय एकादशी माता।।

    तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।

    गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ओम।।

    मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।

    शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ओम।।

    पौष के कृष्ण पक्ष की, सफला नामक है,

    शुक्ल पक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ओम ।।

    नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।

    शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ओम ।।

    विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,

    पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ओम ।।

    चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,

    नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ओम ।।

    शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,

    नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ओम ।।

    योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।

    देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ओम ।।

    कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।

    श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ओम ।।

    अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।

    इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ओम ।।

    पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।

    रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ओम ।।

    देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।

    पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ओम ।।

    परमा कृष्ण पक्ष में होती, जन मंगल करनी।।

    शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्रय हरनी ।। ओम ।।

    जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।

    जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ओम ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।