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    Devshayani Ekadashi 2025 Date: कब है देवशयनी एकादशी? नोट करें सही डेट और शुभ मुहूर्त

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 10 Feb 2025 05:32 PM (IST)

    एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी (Devshayani Ekadashi 2025 Date) की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। विष्णु पुराण में एकादशी व्रत की महिमा विस्तारपूर्वक बताया गया है।

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    Devshayani Ekadashi 2025 Date: देवशयनी एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Devshayani Ekadashi 2025 Date: हर साल आषाढ़ महीने में देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि देवशयनी एकादशी तिथि से भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं और देवउठनी एकादशी पर जागृत होते हैं। इस दिन से चातुर्मास शुरू होता है। चातुर्मास के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।

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    चातुर्मास के दौरान सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव के हाथों में होता है। आसान शब्दों में कहें तो चातुर्मास के दौरान सृष्टि का संचालन भगवान शिव करते हैं। देवशयनी एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक के सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, देवशयनी एकादशी की शुभ तिथि, मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 05 जुलाई को संध्याकाल 06 बजकर 58 मिनट से शुरू होगी और 06 जुलाई को शाम 09 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है। इसके लिए 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनाई जाएगी। साधक 06 जुलाई को देवशयनी एकादशी का व्रत रख सकते हैं। साधक 07 जुलाई को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से लेकर 08 बजकर 16 मिनट के दौरान स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके पश्चात ब्राह्मणों को अन्न दान देकर व्रत खोलें।

    शुभ योग

    ज्योतिषियों की मानें तो देवशयनी एकादशी पर साध्य और शुभ योग का निर्माण हो रहा है। साथ ही त्रिपुष्कर योग का संयोग बनेगा। इसके अलावा, देवशयनी एकादशी पर रवि योग और भद्रावास योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 29 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 23 मिनट पर
    • चंद्रोदय- दोपहर 03 बजकर 38 मिनट
    • चंद्रास्त- देर रात 02 बजकर 07 मिनट
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 08 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त- देर रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 46मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।