Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Saphala Ekadashi 2024 Date: पौष महीने में कब है सफला एकादशी? पढ़िए शुभ मुहूर्त और पूजा की पूरी विधि

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 08 Dec 2024 08:03 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो सफला एकादशी तिथि पर सुकर्मा योग एवं शिववास योग का संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान विष्णु (Saphala Ekadashi 2024 Date) की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जन्म-जन्मांतर में किये गए पापों से मुक्ति मिलती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।

    Hero Image
    Saphala Ekadashi 2024 Date: सफला एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भक्ति भाव से लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर श्रीहरि की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति बनी रहती है। इस शुभ अवसर पर साधक विभिन्न प्रयोजनों (तरीके) से अपने आराध्य भगवान विष्णु को प्रसन्न करते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो भाव और सुविधा अनुसार श्रीहरि नारायण जी की पूजा करें। आइए, सफला एकादशी की तिथि (Saphala Ekadashi 2024 Date) , शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: साल 2025 में कब-कब है एकादशी? नोट करें सही डेट एवं पूरी लिस्ट

    सफला एकादशी शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 दिसंबर को देर रात 10 बजकर 29 मिनट पर होगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 27 दिसंबर को देर रात 12 बजकर 43 मिनट पर होगा। इस प्रकार 26 दिसंबर को सफला एकादशी मनाई जाएगी।

    सफला एकादशी पारण समय

    सफला एकादशी का पारण समय 27 नवंबर को सुबह 07 बजकर 12 मिनट से लेकर 09 बजकर 16 मिनट तक है। साधक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान कर श्रीहरि की पूजा करें। इसके पश्चात, पारण समय में ब्राह्मणों को अन्न दान कर व्रत खोल सकते हैं।

    पूजा विधि

    एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से होती है। अतः दशमी तिथि के दिन स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु की पूजा करें। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें। साथ ही ब्रह्मचर्य नियम का पालन करें। अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान विष्णु की साधना करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। अब पंचोपचार कर विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करें। भगवान विष्णु का अभिषेक करें। उन्हें फल, फूल, मिष्ठान, खीर आदि चीजें भोग में अर्पित करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा, स्तोत्र का पाठ और मंत्र जप करें। अंत में आरती कर लक्ष्मी नारायण जी से सुख-समृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। दिन में एक फल और एक बार जल ग्रहण कर सकते हैं। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन व्रत खोलें।

    यह भी पढ़ें: साल 2025 में कब-कब है प्रदोष व्रत? यहां नोट करें सही डेट और पूरी लिस्ट

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।