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    Motivational Dohe: सुबह उठते ही इन दोहों का करें पाठ, सफलता चूमेगी आपके कदम

    By Jagran NewsEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Sat, 13 May 2023 03:06 PM (IST)

    जब हम अपने दिन की शुरुआत सकारात्मक सोच के साथ करते हैं तो पूरा दिन अच्छा बीतता है। इसलिए हमारे बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि सुबह उठकर भगवान का ध्यान करना चाहिए या अच्छी चीजों का स्मरण करना चाहिए।

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    Motivational Dohe सफलता के लिए हर रोज दोहराइये ये दोहे।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Motivational Dohe for Success: अपने बचपन में हम सभी ने दोहे पड़े होंगे। यह दोहे न केवल प्रेरणा देते हैं बल्कि हमें जीवन जीने का तरीका भी सिखाते हैं। भले ही यह दोहे बहुत पहले लिखे गए थे लेकिन आज के समय में भी यह बिलकुल सटीक बैठतें हैं। तो चलिए जानते हैं ऐसे ही कुछ दोहों के बारे में जिन्हें जीवन में अपनाने से आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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    सुबह उठते समय इन दोहे का करें पाठ

    माया मरी न मन मरा, मर-मर गए शरीर

    आशा, तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर

    -कबीर

    अर्थ - कबीर दास जी कहते हैं कि व्यक्ति की इच्छाएं कभी नहीं समाप्त होती भले ही उसके शरीर का अंत हो जाए। इसी प्रकार उम्मीद का भी कभी अंत नहीं होता।  

    चिंता ऐसी डाकिनी, काट कलेजा खाए

    वैद बिचारा क्या करे, कहां तक दवा लगाए

    -कबीर

    अर्थ - कबीरदास के अनुसार, चिंता एक ऐसी डायन है जो व्यक्ति का कलेजा काट खाती है। अर्थात व्यक्ति को एक पल का भी चैन नहीं मिलता। चिंता जैसी खतरनाक बीमारी का कोई इलाज नहीं है।

    जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ,

    मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ।

    -कबीर

    अर्थ - जो व्यक्ति जीवन में प्रयास करता है वही सफलता हासिल करता है। कुछ लोग डूबने के डर से प्रयास ही नहीं करते और जीवनभर बैठे रह जाते हैं।

    खैर, खून, खांसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान।

    रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान

    - रहीम दास

    अर्थ -  कुछ बातें ऐसी होती हैं जो लाख कोशिशों के बाद भी नहीं छुपाई जा सकती। जैसे - सेहत, कत्ल, खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और शराब का नशा।

    गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागूं पांय

    बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो बताय।

    - कबीर

    अर्थ - शिक्षक और भगवान अगर साथ में खड़े हैं तो सर्वप्रथम गुरु के चरण छूने चाहिए। क्योंकि ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता भी गुरु द्वारा ही दिखाया गया है।

    जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग।

    चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग।

    - रहीम दास

    अर्थ - रहीम दास कहते हैं कि जो अच्छे स्वभाव के मनुष्य होते हैं, बुरी संगति उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती। जैसे जहरीले सांप के चंदन के पेड़ से लिपटे रहने पर भी जहरीला प्रभाव चंदन की लकड़ी पर नहीं पड़ता।  

     By- Suman Saini

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'