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    Auspicious Yoga in Kundali: जानें ये तीन योग जो बदल देंगे आपका भाग्य, जीवन भर नहीं होगी धन की कमी

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों और भावों की स्थिति के हिसाब से शुभ या अशुभ योगों का निर्धारण होता है जिससे व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ये योग व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति से लेकर आर्थिक स्थिति तक को प्रभावित करते हैं।

    By Jagran NewsEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Wed, 10 May 2023 10:04 AM (IST)
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    Auspicious Yoga in Kundali तीन शुभ योग

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Auspicious Yoga in Kundali: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के अलग-अलग प्रभावों से बनने वाले योग बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की कुंडली को देखकर उनके भविष्य में होने वाली घटनाओं के बारे में बताया जा सकता है।

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    कुंडली में निर्मित शुभ-अशुभ योग व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव के कारण बनते हैं। ज्योतिष में ऐसा माना जाता है कि जिस भाग्यशाली जातक की कुंडली में ये तीन योग बनते हैं उन्हें समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। साथ ही धन की कभी कमी नहीं होती। आइए जानते है ये तीन योग कौन-से हैं।

    रूचक योग

    इस योग को वैदिक ज्योतिष में पांच सामान्य लाभकारी योगों में से एक माना जाता है। जब कुंडली में मंगल लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में मेष, वृश्चिक और मकर राशि में स्थित हो, तब रुचक योग बनता है। कुंडली में ये योग बनने से व्यक्ति हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है।

    माना जाता है कि इस योग के जातक के पास धन कमाने के कई स्रोत होते हैं। अगर कुंडली में रूचक योग शुभ स्थिति में है तो व्यक्ति अपनी मेहनत द्वारा कुछ ही समय में सफलता हासिल कर लेता है।

    हंस योग

    दूसरा शुभ योग हंस योग है। इस योग का निर्माण देव गुरु ग्रह बृहस्पति करते हैं। जब गुरु स्वराशि धनु या मीन या फिर अपनी उच्च राशि कर्क में होकर पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में बैठे हों तो इसे हंस महापुरुष योग कहते हैं। इस योग के जातक को हर क्षेत्र में विजयी होते हैं। साथ ही अपनी तेज बुद्धि के कारण प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता मिलती है। इस योग के बनने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

    शश योग

    इस योग को भी शुभ योगों में से एक माना जाता है। शश योग तब बनता है जब कुंडली के लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें और दसवें घर में शनि अपने स्वयं की राशि (मकर, कुंभ) में या उच्च राशि तुला में मौजूद होते हैं। इस योग के बनने से व्यक्ति के जीवन में धन संबंधी समस्याएं नहीं आती है। इस योग के जातक जुनूनी, उत्साही और आत्मविश्वासी होते हैं। साथ ही ये लोग परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत करते हैं।

    Writer - Suman Saini

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'