Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उम्र के साथ सेहत भी बढ़ाएं

    By Edited By:
    Updated: Tue, 26 Jun 2012 02:41 PM (IST)

    उम्र और सेहत का बड़ा ही अजीब रिश्ता है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ हमारी सेहत में गिरावट आने लगती है। बढ़ती उम्र के इस असर को पूरी तरह रोक पाना तो संभव नहीं है, लेकिन अगर थोड़ी सी सजगता बरती जाए तो वृद्धावस्था में आने वाली समस्याओं के असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

    Hero Image

    उम्र बढने के साथ वैसे तो कई तरह की बीमारियां हमें परेशान करने लगती हैं, लेकिन यहां हम जिक्र करेंगे कुछ ऐसी समस्याओं के बारे में जो बुजुर्गो में अकसर देखी जाती हैं:

    ऑस्टियोपोरोसिस

    यह कैल्शियम की कमी से जुडी ऐसी समस्या है, जो आमतौर पर सभी बुजुर्गो में देखी जाती है। दरअसल हर इंसान के शरीर में कैल्शियम का बोन बैंक होता है, लेकिन उम्र बढने के साथ खून में कैल्शियम की कमी हो जाती है। शरीर का मेकैनिज्म कुछ ऐसा है कि इस कमी को पूरा करने के लिए हड्डियों से अपने आप कैल्शियम का रिसाव होने लगता है। नतीजतन हड्डियां कमजोर और भुरभुरी होने लगती हैं। इस वजह से हड्डियों और मांसपेशियों में हमेशा दर्द रहता है। बडी उम्र की स्त्रियों में मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या बढ जाती है, जिसे पोस्ट मेनोपोजल ऑस्टियोपोरोसिस कहा जाता है। दरअसल स्त्रियों में पाया जाने वाला एस्ट्रोजन हॉर्मोन उनकी हड्डियों के चारों ओर सुरक्षा कवच बना कर रखता है, जिससे उन्हें ताकत मिलती है और उनसे कैल्शियम का रिसाव नहीं हो पाता, लेकिन मेनोपॉज के बाद स्त्रियों के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है और इसी वजह से उनकी हड्डियां कमजोर होने लगती हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    क्या करें : कैल्शियम की कमी पूरी करने के लिए अपने भोजन में मिल्क प्रोडक्ट्स की मात्रा बढाएं। इसके अलावा सफेद दिखने वाले फलों और सब्जियों का सेवन अधिक मात्रा में करें। डॉक्टर की सलाह पर नियमित रूप से कैल्शियम सप्लीमेंट का सेवन विटमिन डी के साथ करें क्योंकि विटमिन डी के बिना हड्डियों और खून में कैल्शियम का अवशोषण नहीं हो पाएगा। इस उम्र में कैल्शियम के सेवन से पेट में बहुत ज्यादा गैस बनती है। इसलिए कैल्शियम सप्लीमेंट के साथ कोई एंटी गैस्ट्रिक मेडिसिन जरूर लें।

    आथ्र्राइटिस

    हड्डियों के जोडों के बीच ल्यूब्रिकेंट ऑयल जैसा चिकना पदार्थ होता है, जो जोडों के संचालन को आसान बनाता है, पर उम्र बढने के साथ-साथ जोडों में मौजूद यह तैलीय पदार्थ सूखने लगता है। इसकी वजह से उम्र बढने के बाद जोडों में जकडन, जलन, उठते-बैठते या हाथों से कोई काम करते समय दर्द की समस्या होती है। लगभग 80 प्रतिशत बुजुर्गो को यह समस्या होती है।

    क्या करें : जोडों की जकडन दूर करने के लिए किसी योग विशेषज्ञ के निर्देशों के अनुसार हलके-फुलके एक्सरसाइज करें। जोडों में किसी दर्द निवारक मरहम या तेल की मालिश भी फायदेमंद साबित होगी।

    कैटरेक्ट

    इसे आम बोलचाल की भाषा में मोतियाबिंद भी कहा जाता है। यह दृष्टि से संबंधित ऐसी समस्या है, जो ज्यादातर बुजुर्गो में देखने को मिलती है। आंखों की रेटिना में एक लेंस होता है, जो अलग-अलग दूरियों पर स्थित वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में हमारी मदद करता है। इस लेंस की बाहरी परत पर कुछ नई कोशिकाएं बनती रहती हैं। उम्र बढने के बाद इनके दबाव की वजह से लेंस के भीतर ज्यादा फ्लूइड बनने लगता है। इससे लेंस में वैसा ही धुंधलापन आने लगता है, जैसा कि शीशे पर पानी डालने के बाद आता है। इससे चीजें अस्पष्ट दिखाई देने लगती हैं। आजकल बुजुर्गो में एआरएमडी यानी एज रिलेटेड मैक्यूलर डिजेनरेशन की समस्या भी देखने को मिल रही है, जिसमें उम्र बढने के साथ रेटिना के न‌र्व्स नष्ट होने लगते है और इससे एक समय ऐसा भी आता है, जब आंखों की दृष्टि पूरी तरह खत्म हो जाती है। चिंताजनक बात यह है कि पूरी दुनिया में इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचाव के लिए आंखों का नियमित चेकअप करवाते रहना चाहिए। अगर शुरुआती दौर में इसकी पहचान कर ली जाए तो दृष्टि को पूरी तरह नष्ट होने से बचाया जा सकता है।

    क्या करें : अगर दृष्टि में मामूली धुंधलापन हो तो चश्मे के जरिये विजन को मैनेज किया जा सकता है। अगर इससे रोजमर्रा के कामकाज प्रभावित होने लगें तो सर्जरी ही इसका एकमात्र उपचार है। इससे कैटरेक्ट की समस्या दूर हो जाती है।

    पाचन-तंत्र संबंधी समस्याएं

    बुजुर्गों को पाचन-तंत्र संबंधी समस्याएं भी बहुत परेशान करती हैं। आमतौर पर उन्हें जिन परेशानियों का सामना करना पडता है, उनमें कब्ज, पेट में गैस और सीने में जलन आदि प्रमुख हैं। इन समस्याओं की एक प्रमुख वजह यह है कि दांतों और जबडों की कमजोरी के कारण लोग ढंग से चबाकर नहीं खा पाते, इससे उनके सलाइवा में भोजन को पचाने में सहायक जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स नहीं बन पाते। खाते समय इनका मुंह ज्यादा खुला रहता है। इससे खाने के साथ पेट में हवा भी चली जाती है। आंतों के कार्य करने की गति धीमी हो जाती है। इसके अलावा हमारे भोजन की नली और आंत के बीच एक वन-वे वॉल्व होता है, जो कि एक ही तरफ खुलता है। उम्र के साथ यह वॉल्व ढीला पड जाता है और यह दोनों तरफ खुलने लगता है। इससे थोडा खाना आंतों के अंदर जाता है और थोडा बाहर वापस आ जाता है। इन्हीं कारणों से बुजुर्गो को बार-बार डकार आने और बदहजमी जैसी समस्याएं होती हैं।

    क्या करें : ज्यादा पानी पीएं और फाइबर युक्त चीजें जैसे-दलिया, ओट्स, पपीता, अनार, अमरूद, सेब और संतरा जैसे फलों का नियमित रूप से सेवन करें।

    बीपीएच की समस्या

    बीपीएच यानी बिनाइन प्रोस्टैटिक हाइपरप्लेसिया यह बुजुर्ग पुरुषों की सबसे बडी स्वास्थ्य समस्या है और आमतौर पर साठ वर्ष की उम्र के बाद ज्यादातर पुरुषों को इसका सामना करना पडता है। वृद्धावस्था में पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड का आकार बढने लगता है। इससे उनके यूरिनरी ट्रैक पर दबाव पडता है। ऐसी स्थिति में बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होना, यूरिन डिस्चार्ज करते समय दर्द, गंभीर स्थितियों में यूरिन के साथ ब्लड आना जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

    क्या करें : अगर इस समस्या के मामूली लक्षण हों तो उसे दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है। अगर इसकी वजह से मरीज को ज्यादा तकलीफ हो तो होल्मियम लेजर पद्धति द्वारा इसकी सफलतापूर्वक सर्जरी की जाती है और इसके बाद व्यक्ति पूर्णत: स्वस्थ हो जाता है।

    साइको-जेरीएट्रिक डिसॉडर्स

    उम्र बढने की वजह से बुजुर्गो को जिन मनोवैज्ञानिक समस्याओं का सामना करना पडता है, उन्हें साइको-जेरीएट्रिक डिसॉडर्स कहा जाता है। आमतौर पर 65-70 वर्ष की उम्र के बाद व्यक्ति का शरीर थकने लगता है, जिसकी वजह से उसका सामाजिक जीवन बहुत ज्यादा प्रभावित होता है। लोगों से मिलना-जुलना कम हो जाता है। परिवार के अन्य सदस्य अपने कार्यो में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में अकेलेपन और ब्रेन के न्यूरोटांसमीटर्स से निकलने वाले केमिकल्स के असंतुलन की वजह से उन्हें डिप्रेशन हो जाता है। इसके अलावा शरीर में दर्द, चिंता, तनाव और यूरिनरी सिस्टम पर नियंत्रण नहीं होने की वजह से रात को हर एक-दो घंटे पर टॉयलेट जाने के लिए उन्हें उठना पडता है। इसकी वजह से उन्हें अनिद्रा की समस्या भी बहुत परेशान करती है। इसके अलावा डिमेंशिया यानी स्मृति-लोप ऐसी गंभीर समस्या है, जिसका सामना अकसर बुजुर्गो को करना पडता है। इसमें व्यक्ति परिचितों और जगहों के नाम, नंबर या घर में अपनी चीजें रखकर भूल जाता है। मस्तिष्क में एक खास हिस्सा होता है, जहां हमारी स्मृतियां सुरक्षित रहती हैं। डिमेंशिया में इस हिस्से की कोशिकाएं सूखकर नष्ट होने लगती हैं। इसी वजह से व्यक्ति भूलने लगता है।

    क्या करें : परिवार के सदस्यों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बुजुर्गो को उदास और अकेला न छोडें। उनके साथ वक्त बिताएं। उन्हें वह सब करने की पूरी आजादी दें, जिससे उन्हें सच्ची खुशी मिलती है। अगर ऐसी समस्या हो तो मनोचिकित्सक की काउंसलिंग और दवाओं से यह समस्या दूर हो जाती है। यह राहत की बात है कि भारतीय बुजुर्गो की स्मरण शक्ति अन्य देशों के मुकाबले बहुत अच्छी है। इसी वजह से यहां डिमेंशिया और अल्जाइमर्स के मरीज बहुत कम देखने को मिलते हैं।

    कुछ जरूरी बातें

    -हाई या लो ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, स्पांडलाइटिस, अनिद्रा और आथ्र्राइटिस जैसी समस्याओं की वजह से अकसर बुजुर्गो को चक्कर आने या चलने के दौरान लडखडाहट की समस्या होती है। इन्हीं वजहों से अकसर बुजुर्ग लोग चलते हुए गिर पडते हैं। उनकी हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि फ्रैक्चर के बाद उनका दोबारा जुडना मुश्किल हो जाता है। इसलिए अगर घर में बुजुर्ग हों तो हमेशा एहतियात बरतने की कोशिश करनी चाहिए कि चलते हुए उन्हें ठोकर न लगे। अगर वे टहलने के लिए घर से बाहर जाएं तो भी उनके साथ किसी एक व्यक्ति को जाना चाहिए।

    -इस उम्र में स्त्रियों को सर्विक्स और ब्रेस्ट कैंसर होने का भी खतरा रहता है। इसलिए साल में एक बार मेमोग्राफी और पेप्स्मीयर टेस्ट जरूर करवाएं।

    -आजकल बुजुर्गो के लिए भी न्यूमोनिया, इन्फ्लुएंजा और सर्विक्स कैंसर जैसी बीमारियों से बचाव के टीके आने लगे हैं। सेहत की सुरक्षा के लिए ये टीके जरूर लगवाने चाहिए।

    -वृद्धावस्था में ओवरवेट या अंडरवेट होना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता, इसलिए संतुलित खानपान और स्वस्थ जीवनशैली अपना कर अपना वजन संतुलित रखें।

    -हमेशा खुश और सामाजिक रूप से सक्रिय रहने की कोशिश करें।

    निश्चिंत रहें

    1. अगर आपका वजन, ब्लडप्रेशर और शुगर लेवल सामान्य है।

    2. कब्ज के अलावा पाचन संबंधी कोई अन्य समस्या नहीं है।

    3. प्रतिदिन कम से कम छह घंटे की अच्छी नींद आती है।

    सजग हो जाएं

    1. अकसर चक्कर आए और आंखों के आगे अंधेरा छा जाए।

    2. रोजमर्रा की छोटी-छोटी बातें भूलने की समस्या हो।

    3. खाने के बाद पेट में दर्द और बार-बार टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस हो।

    तुरंत जांच कराएं

    1. ब्लडप्रेशर और शुगर लेवल में अकसर बहुत ज्यादा उतार-चढाव आए।

    2. चीजें धुंधली दिखाई दें।

    3. हड्डियों और जोडों में असहनीय दर्द हो।

    (श्री बाला जी ऐक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के जेरीएट्रिक्स एंड इंटरनल मेडिसिन विभाग की सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मनीषा अरोडा से बातचीत पर आधारित)