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    पड़ोसी कैसे-कैसे

    पड़ोसी भले ही दिल के करीब न हों, पर वे हमारे घरों के सबसे करीब होते हैं। उनका साथ कभी हमें हंसाता है तो कभी रुलाता है। वे चाहे जैसे भी हों, हम उन्हें पसंद करें या नापसंद, पर उन्हें इग्नोर नहीं कर सकते क्योंकि वे हमारी जि़ंदगी का अहम

    By Edited By: Updated: Mon, 29 Jun 2015 01:57 PM (IST)
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    पडोसी भले ही दिल के करीब न हों, पर वे हमारे घरों के सबसे करीब होते हैं। उनका साथ कभी हमें हंसाता है तो कभी रुलाता है। वे चाहे जैसे भी हों, हम उन्हें पसंद करें या नापसंद, पर उन्हें इग्नोर नहीं कर सकते क्योंकि वे हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं।

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    1. डिटेक्टिव

    ऐसे लोग दूसरों के निजी जीवन के बारे में सब कुछ जान लेने को इतने उत्सुक होते हैं कि दूसरों के घरों में अकसर ताक-झांक करने की कोशिश करते हैं। पडोसी के घर में कौन आया है, उनके किचन में क्या पक रहा है, वे लोग कहां घूमने जा रहे हैं...? कुछ लोग ये सारी बातें जान लेना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं। इसके लिए वे प्रोफेशनल जासूस जैसे तरीके अपनाने में जरा भी संकोच नहीं बरतते/ बरततीं।

    क्या करें : अगर आपके पडोसी भी ऐसे ही हों तो उनके साथ सम्मानजनक दूरी बनाए रखें। इत्तफाक से कभी दरवाजे के बाहर उनसे अचानक मुलाकात हो जाए तो उनके कुछ पूछने से पहले ख्ाुद ही बता दें कि आप कहां जा रहे हैं। इससे उन्हें ज्य़ादा पूछताछ का मौका नहीं मिलेगा और वे जल्द ही आपका पीछा छोड देंगे।

    2. डिमांडिंग

    कभी-कभी पडोसियों से मदद लेना तो बनता है, पर कुछ लोग हमेशा दूसरों की मदद के भरोसे रहना पसंद करते हैं। ऐसे लोग आप से कभी भी, कुछ भी मांग सकते हैं। ये इतने आशावादी होते हैं कि अगर आप इन्हें मना भी कर दें तो ये आपकी बातों का बुरा नहीं मानते और दोबारा मांगने आ पहुंचते हैं। पडोसी के घर में उपलब्ध वस्तुओं के बारे में इनका शोध इतना गहन होता है कि आपसे ज्य़ादा इन्हें मालूम होता है कि आपके घर में कौन सी चीज कहां रखी है। जब भी जरूरत महसूस होती है ये

    अपने पडोसी धर्म का निर्वाह करते हुए पूरे अधिकार भाव के साथ आपसे आपकी चीजें मांग कर या कई बार बिना पूछे ही उठा कर ले जाते हैं। जब तक आप न मांगें ये ली हुई वस्तुएं वापस करना जरूरी नहीं समझते।

    क्या करें : अगर आपके पडोस में कोई ऐसा परिवार रहता है तो उससे सम्मानजनक दूरी बनाए रखें। अगर आपके पडोसी सचमुच किसी परेशानी में हों तो इंसानियत के नाते आपको उनकी मदद जरूर करनी चाहिए। हां, अगर वे रोज-रोज अखबार, सूई-धागा, कैंची और मोबाइल का चार्जर जैसी चीजें मांगने पहुंचें तो दो-चार दिनों के बाद किसी बहाने से उन्हें मना कर दें। वैसे भी समझदार को इशारा काफी होता है। इसके बाद भी अगर उन्हें आपकी बात समझ न आए तो फिर हम क्या कहें? आप ख्ाुद ही समझदार हैं। ऐसे पडोसियों को झेलने के लिए तैयार रहें!

    3. ईष्र्यालु

    दूसरों की ख्ाुशी ही इनके दुख का सबसे बडा कारण होती है। उसकी साडी मेरी साडी से सफेद कैसे? इनके मन में हमेशा यही भाव रहता है। इसी वजह से ये दूसरों की हर बात में मीन-मेख निकालते रहते हैं। कुल मिलाकर, इनसे दूसरों की ख्ाुशी देखी नहीं जाती और कोई ख्ाुश रहना भी चाहे तो अपनी नकारात्मक बातों से ये उसे नाख्ाुश कर देते हैं।

    क्या करें : बेहतर यही होगा कि ऐसे लोगों को अपनी उपलब्धियों के बारे में न बताया जाए। इनकी किसी भी बात को गंभीरता से न लें।

    4. पंगेबाज

    कुछ लोगों को बेवजह झगडऩे की आदत होती है। चाहे आपके मेहमान ने गलती से इनकी कॉलबेल बजा दी हो या आपके बच्चे की बॉल इनके घर में चली जाए....इन्हें तो बस लडऩे का बहाना चाहिए। छोटी-छोटी बातों पर लंबी बहस करना इनकी हॉबी होती है। आजकल महानगरों की हाउसिंग सोसायटीज इस प्रजाति के पडोसी सर्वसुलभ होते हैं। ऐसे लोग कई बार सोसायटी के रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के सदस्य भी हो जाते हैं और अकसर दूसरे सदस्यों की कार्यशैली को गलत ठहराकर उनसे झगडते रहते हैं, पर ख्ाुद कोई जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं होते।

    क्या करें : ऐसे लोग से बहस करना बेकार है। अगर ये कभी आपसे झगडऩे की कोशिश करें तो आप इनके साथ अतिशय विनम्रता से पेश आएं और सॉरी बोल कर वहीं बात खत्म कर दें।

    5. निंदक

    ऐसे लोग अपना ज्य़ादातर वक्त दूसरों की निंदा करने में बिताते है। हालांकि महानगरों अति व्यस्त जीवनशैली की वजह से ऐसे पडोसियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ऐसे आत्मकेंद्रित और एकाकी समाज में वे किसकी निंदा किससे करें? निंदा रस का सुख तो तभी मिलता है जब निंदक के सम्मुख जिज्ञासु श्रोतागण मौजूद हों।

    क्या करें : इनसे सीमित संवाद रखें। जब ये किसी की निंदा कर रहे हों तो उसी वक्त बातचीत का विषय बदल दें।

    6. फ्लर्ट

    ऐसे लोग पडोसी की पत्नी के प्रति अतिरिक्त रूप ये सहृदय होते हैं और हमेशा उनकी सहायता को तैयार रहते हैं। हर बात पर पडोसी की पत्नी की प्रशंसा करते हैं। ये हमेशा 'भाभी जी घर पर हैं? वाली मुद्रा में नजर आते हैं। भाई साहब के लिए इनके पास जरा भी वक्त नहीं होता, पर भाभी जी की हर सेवा के लिए पूरी मुस्तैदी से डटे रहते हैं। बाजार से सब्जी लाने से लेकर उन्हें ब्यूटी पार्लर छोडऩे तक की जिम्मेदारियां ये बख्ाूबी निभाते हैं।

    क्या करें : स्त्रियों को ऐसे पडोसियों से सतर्क रहना चाहिए। अगर वे किसी प्रकार की सहायता का ऑफर दें तो विनम्रतापूर्वक मना कर देना चाहिए। इनसे बातचीत में कभी भी आत्मीयता न दिखाएं।

    7. अपनी धुन के धुनी

    तकल्लुफ से इनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता। अपना घर भले ही साफ रखें, पर आसपास के लोगों की जरा भी परवाह करना इन्हें गवारा नहीं होता। कहीं भी कूडा फेंक देना, अपने घर में देर रात तक फुल वॉल्यूम पर टीवी चलाना....आदि बातें इनकी आदतों में शुमार होती हैं और ये सुधरने को तैयार नहीं होते।

    क्या करें : अगर आपके पडोसी भी ऐसी हरकतें करते हों तो उस वक्त उनसे कुछ न कहें, लेकिन बाद में उन्हें प्यार से समझाएं कि उनकी ऐसी आदत से दूसरों को तकलीफ होती है। इसलिए वे टीवी थोडे कम वॉल्यूम पर चलाएं और कूडा हमेशा डस्टबिन में ही फेंकें।

    8. परफेक्ट

    यह पडोसियों की दुर्लभ प्रजाति है। ऐसे लोग किसी के निजी मामले में हस्तक्षेप नहीं करते, लेकिन जरूरत पडऩे पर हमेशा दूसरों की मदद करने को तैयार रहते हैं।

    क्या करें: बडी किस्मत वालों को मिलते हैं, ऐसे पडोसी। इनके साथ आपको कैसे पेश आना चाहिए, यह तो आप ख्ाुद ही समझ गए होंगे।

    आलेख : विनीता, इलस्ट्रेशन : श्याम जगोता