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    अडॉप्शन एक्ट क्या है कानूनी प्रक्रिया

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    Updated: Tue, 02 Jul 2013 02:32 PM (IST)

    हाल ही में फिल्ममेकर करन जौहर ने बच्चा गोद लेने की इच्छा जाहिर की है। इससे पहले सुष्मिता सेन ने यह कदम उठाया था। अडॉप्शन एक कानूनी प्रक्रिया है। दत्तक ग्रहण अधिनियम के तहत कौन गोद ले सकता है, इसके बारे में जानकारी दे रही हैं सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश जैन।

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    अडॉप्शन को लेकर समाज की प्रचलित धारणाएं अब खत्म हो रही हैं। एंजेलिना जोली और सुष्मिता सेन जैसी सलेब्रिटीज द्वारा बच्चे गोद लिए जाने के बाद आम लोग भी इस दिशा में सोचने लगे हैं। हाल ही में फिल्ममेकर करन जौहर ने बच्चा गोद लेने की इच्छा जहिर की है। हिंदू दत्तक ग्रहण तथा भरण पोषण कानून 1956 में बना और 21 दिसंबर 1956 को लागू हुआ। यह कानून हिंदुओं जैसे-वीराशैव, लिंगायत, ब्रह्म समाज, प्रार्थना या आर्य समाज को मानने वालों पर लागू होता है। यह बौद्ध या जैन धर्म सहित सिखों पर भी लागू होता है। इसका अर्थ है कि यह कानून उन सभी पर लागू होता है जो मुसलिम, पारसी तथा ईसाई नहीं हैं। यानी यह सिर्फ उन पर लागू नहीं होता जो किसी रीति-रिवाज, परंपरा या व्यवहार के आधार पर साबित करेंगे कि वे हिंदू नहीं हैं।

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    इस एक्ट के तहत वे बच्चे हिंदू माने जाएंगे जो कानूनी अथवा गैरकानूनी हैं, मगर जिनके माता-पिता हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख हैं। वे बच्चे भी हिंदू हैं जिनके माता-पिता में से कोई एक हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख है और उस बच्चे की परवरिश हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख समुदाय के धार्मिक, पारिवारिक व सामाजिक परिवेश में हुई है। ऐसे बच्चे भी हिंदू हैं, जिन्हें उनके माता-पिता ने त्याग दिया है, मगर उनका पालन-पोषण हिंदू, बौद्ध, जैन या सिख परिवार में हुआ है। ऐसे लोग भी इस कानून के तहत आएंगे, जो धर्म परिवर्तन के बाद हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख बन गए हैं।

    यह कानून अनुसूचित जनजाति के लोगों पर लागू नहीं होगा।

    गोद लेना तभी कानूनी होगा, जब कानूनी निर्देशों के तहत होगा। ऐसा न होने पर यह गैरकानूनी होगा। इसमें गोद लेने-देने वाले का कोई अधिकार या कर्तव्य नहीं होगा।

    गोद लेने की शर्ते

    -जो व्यक्ति गोद ले रहा हो, वह इसके योग्य हो और उसे कानूनी अधिकार हो।

    -जो व्यक्ति गोद दे रहा हो, वह कानूनन गोद देने का अधिकार रखता हो।

    -जिसे गोद लिया जा रहा हो, उसे भी यह अधिकार हो कि वह गोद दिया जा सके।

    -एक हिंदू किसी दूसरे हिंदू को गोद ले सकता है।

    कुमार सुरसेन बनाम बिहार राज्य एआइआर 2008 पटना, 24

    -गोद देने-लेने की प्रकिया तब पूरी होगी जब दोनों तरफ के लोग और समाज के लोगों के बीच विधिवत गोद लेने-देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। यह कोई गुप्त आयोजन नहीं होगा।

    एम गुरुदास बनाम रसरंजन एआइआर 2006 सुप्रीम कोर्ट 3275

    -दत्तक लिए जाने वाले व्यक्ति को उसे गोद लेने वाले की संपत्ति लेने के लिए यह साबित करना होगा कि वह वास्तविक या नैसर्गिक परिवार से संपत्ति संबंधी सभी अधिकार खो चुका है।

    -गोद लिए-दिए जाने वाला व्यक्ति पागल या मानसिक रूप से विक्षिप्त न हो।

    गोद कौन ले सकता है

    -कोई भी हिंदू पुरुष यदि स्वस्थ मस्तिष्क वाला और बालिग है तो वह बेटा या बेटी गोद ले सकता है। यदि उसकी पत्नी जीवित है तो वह पत्नी की रजामंदी से बच्चा गोद लेगा। यह रजामंदी तब आवश्यक नहीं होगी जब पत्नी ने संन्यास ले लिया हो या हिंदू धर्म का परित्याग कर दिया हो या उसे किसी कोर्ट द्वारा पागल या मानसिक रूप से विक्षिप्त घोषित कर दिया गया हो।

    -अब वर्ष 2010 में दत्तक कानून के तहत स्त्रियों को भी पुरुषों के समान ही गोद लेने का अधिकार दे दिया गया है। अब वे भी पति की रजामंदी से बच्चा गोद ले सकती हैं (पहले ऐसा नहीं था)। यदि पति ने संन्यास ले लिया हो, धर्म परिवर्तन कर लिया हो या किसी कोर्ट से पागल घोषित कर दिया गया हो तो वह बिना पति की अनुमति के बच्चा गोद ले सकती है। यानी कोई भी स्वस्थ मस्तिष्क वाली बालिग, विवाहित-अविवाहित या तलाकशुदा स्त्री गोद ले सकती है। अगर उसके पति की मृत्यु हो चुकी हो, उसे अदालत ने पागल घोषित कर दिया हो, वह संन्यासी हो गया हो या धर्म परिवर्तन कर चुका हो तो वह बिना पति की अनुमति के भी बेटा या बेटी गोद ले सकती है। -तलाकशुदा स्त्री तथा तलाकशुदा की तरह रहने वाली स्त्री में अंतर है। यदि शारीरिक दोष के कारण स्त्री शादी के बाद से ही पति से अलग रह रही है तो वर्षो बीत जाने पर भी वह विवाहित ही कहलाएगी। यदि वह अकेले बिना पति की रजामंदी के बच्चा गोद लेती है तो यह अवैध होगा।

    माता-पिता दे सकते हैं गोद

    वे लोग गोद दे सकते हैं, जो बच्चे के वास्तविक या नैसर्गिक माता या पिता हैं।

    वर्ष 2010 के संशोधन के अनुसार माता-पिता के जीवित होने पर दोनों में से कोई एक भी बेटा-बेटी गोद दे सकता है, लेकिन जो गोद दे रहा है, उसे पति या पत्नी से सहमति लेनी होगी।

    जहां माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी हो या वे संन्यास ले चुके हों या दोनों ने बच्चे को त्याग दिया हो या दोनों अदालत द्वारा पागल घोषित किए जा चुके हों, वहां बच्चे का अभिभावक अदालत की पूर्व अनुमति से बच्चे को गोद दे सकता है।

    (यह संशोधन 1962 में किया गया था) अभिभावक को गोद देने की अनुमति देने से पहले अदालत जांच करेगी कि इसमें बच्चे की भलाई निहित है अथवा इस प्रक्रिया में बच्चे की रज्ामंदी भी ली गई है। यदि बच्चा इतना बडा न हो कि अपना भला-बुरा जान सके तो अदालत यह निर्णय लेगी। वह देखेगी कि गोद लेने-देने में किसी पक्ष ने संपत्ति या पैसे का लेन-देन तो नहीं किया।

    नोट : इस कानून के तहत माता-पिता का अर्थ नैसर्गिक माता-पिता से है, गोद लेने वाले माता-पिता से नहीं। (संशोधन 1962)

    अभिभावक कौन है

    अभिभावक वह है, जो बच्चे और उसकी संपत्ति सहित उसकी देखभाल करता है। यह व्यक्ति माता-पिता की वसीयत या अदालत द्वारा नियुक्त किया जा सकता है।

    किसे ले सकते हैं गोद

    -जो लडका या लडकी हिंदू हो।

    -पहले किसी और ने गोद न लिया हो।

    -विवाहित न हो। हालांकि किसी धर्म में ऐसे रिवाजों के अनुसार वह विवाहित भी हो सकता है-जैसे जैन धर्म में।

    -21 वर्ष से कम उम्र का हो। यदि किसी के रीति-रिवाज इसकी इजाजत दें तो बात अलग है, जैसे जैन धर्म में।

    लेकिन एक मामले में दिगंबर जैन धर्म को मानने वाला 30 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति इस प्रथा को साबित नहीं कर पाया, इसलिए उसका गोद लिया जाना अवैध ठहराया गया।

    (एआइआर 2006 मुंबई, 123)

    -गोद लेने वाले माता-पिता गोद लिए जाने वाले बच्चे से कम से कम 21 वर्ष बडे हों। उनका कोई भी हिंदू बेटा, पोता या पडपोता जीवित न हो।

    -यदि कोई दंपती बेटी गोद लेता है तो उसकी कोई जीवित हिंदू बेटी या पोती न हो।

    -यदि गोद लेने वाला पिता है और बेटी गोद ली जानी है तो बेटी उससे कम से कम 21 वर्ष छोटी होनी चाहिए।

    -यदि कोई स्त्री बेटा गोद लेती है तो वह बेटे से 21 वर्ष बडी होनी चाहिए।

    -एक ही बच्चा ज्यादा व्यक्तियों द्वारा सम्मिलित रूप से गोद लिया जा सकता है।

    -बच्चा गोद लेते-देते समय दोनों पक्ष के माता-पिता या अभिभावक का होना आवश्यक है। गोद देने-लेने की प्रक्रिया गुप्त तरीके से या किसी बंद कमरे में न होकर समाज के सामने समारोहपूर्वक और विधि-विधान से होनी चाहिए।

    गोद लेने के बाद अधिकार

    गोद लेने के बाद बच्चे को कुछ अधिकार मिलते हैं और उसके कुछ कर्तव्य भी होते हैं-

    1. एक बार गोद लेने-देने की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद वह बच्चा या वे युवक-युवती अपने पिछले परिवार के किसी व्यक्ति से विवाह संबंध में नहीं बंध सकते। गोद दिए जाने के बावजूद गोद देने वाला परिवार उनका नैसर्गिक परिवार ही रहेगा।

    2. यदि उक्त गोद लिए हुए बच्चे को अपने पूर्व परिवार से कोई संपत्ति प्राप्त हुई थी या उसके कुछ दायित्व या अधिकार थे तो वे गोद लेने की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद भी जारी रहेंगे।

    3. लेकिन एक बार गोद ले लिए जाने के बाद वह अपने पूर्व परिवार की संपत्ति के लिए किसी अन्य को मालिक या वारिस नहीं बना सकेगा।

    कमलेश जैन