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    कैसे बनता-बिगड़ता है मूड

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    Updated: Tue, 02 Apr 2013 03:46 PM (IST)

    आपने लोगों को अकसर कहते सुना होगा कि आज मेरा मूड ठीक नहीं है। क्यों होता है ऐसा है? बता रही हैं फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा की न्यूरोलॉजी कंसल्टेंट डॉ.ज्योति बाला शर्मा ।

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    कभी खुश  तो कभी उदास, चिंतित तो कभी बेचैन..कभी गुस्से में तो कभी बेहद शांत। मौसम की तरह पल-पल बदलता रहता है हमारा मूड। कई बार चाह कर भी हम अपने बदलते मूड को नियंत्रित नहीं कर पाते। ऐसे में अकसर हमारे मन में सवाल उठता है कि पल-पल में हमारी मन:स्थिति क्यों बदलती है? दरअसल हमारे मूड को बनाने या बिगाडने में ब्रेन में मौजूद न्यूरोट्रांस्मीटर्स और केमिकल्स का बहुत बडा योगदान होता है।

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    कंप्यूटर की तरह है ब्रेन

    हमारा दिमाग भी कंप्यूटर की तरह काम करता है। इसमें खास  तरह के मेसेंजर्स  होते हैं, जो इसकी वायरिंग का काम करते हैं। इन्हें न्यूरोट्रांस्मीटर्स  कहा जाता है। हमारे रोजमर्रा के सभी कामकाज इन्हीं के जरिये संचालित होते हैं। इनसे ही हमारा ब्रेन शरीर के अलग-अलग हिस्सों तक काम करने का संदेश पहुंचाता है। अच्छी सेहत के लिए न्यूरोट्रांस्मीटर्स का सही ढंग से काम करना जरूरी है। किसी गंभीर बीमारी, दवाओं के साइड इफेक्ट या बढती उम्र की वजह से धीरे-धीरे ये न्यूरोट्रांस्मीटर्स  नष्ट होने लगते हैं। इसी वजह से बुजुर्गो में डिमेंशिया, अल्जाइमर्स और पार्किसंस  जैसी स्मृति-दोष संबंधी बीमारियां ज्यादा  देखने को मिलती हैं।

    दिमाग का केमिकल लोचा

    हमारे ब्रेन से कई तरह के केमिकल्स का सिक्रीशन  होता है, जिन्हें हॉर्मोन कहा जाता है। ये केमिकल्स अलग-अलग तरह की भावनाओं  के लिए जिम्मेदार होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लिए इनके बीच संतुलन जरूरी है। आइए जानते हैं कुछ खास तरह के केमिकल्स के बारे में, जो हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं:

    डिप्रेशन से बचाए सेरोटोनिन

    यह एक ऐसा केमिकल है, जिसकी वजह से नींद, भूख और सेक्स की इच्छा निर्धारित होती है। यह व्यक्ति को आशावादी और धैर्यवान बनाता है। इसका अच्छा स्तर हमें प्रसन्न और सक्रिय बनाए रखता है। यह आत्मविश्वास बढाने में भी मददगार होता है। इसकी कमी से लोगों में डिप्रेशन  की समस्या होती है। कई बार कठिन जीवन स्थितियों की वजह से व्यक्ति में डिप्रेशन  के लक्षण दिखाई देते हैं। इसे रिएक्शनरी डिप्रेशन  कहा जाता है, लेकिन कभी-कभी व्यक्ति के जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा हो तो भी उसे डिप्रेशन  हो जाता है। ऐसी अवस्था को एंडोजेनस  डिप्रेशन  कहा जाता है। अगर किसी वजह से ब्रेन में सेरोटोनिन  की कमी हो जाए तो व्यक्ति को ऐसी समस्या हो सकती है। डिप्रेशन दूर करने वाली दवाओं से इस केमिकल का स्तर बढाया जाता है।

    सीखने में मददगार डोपामिन

    यह केमिकल स्मरण शक्ति, एकाग्रता, समस्या सुलझाने या सीखने की क्षमता, प्रेरित और प्रोत्साहित होने की प्रवृत्ति को बढावा देता है। जब हम किसी लक्ष्य की ओर बढ रहे होते हैं तो उस वक्त ब्रेन से यह हॉर्मोन रिलीज होता है और इससे मिलने वाली ऊर्जा से ही हम अपने उद्देश्य में सफल होते हैं। यह अच्छी नींद के लिए भी जिम्मेदार है। इसकी कमी से भी व्यक्ति को डिप्रेशन  हो सकता है। अधिक मात्रा में शराब या ड्रग्स का सेवन करने वाले लोगों में डोपामिन की कमी पाई जाती है।

    जोश से भरपूर नॉरएड्रिनालिन

    व्यक्ति में जोश का संचार करता है। यह व्यक्ति को सचेत, चुस्त और चौकन्ना बनाने में मदगार होता है। युद्ध के दौरान सैनिकों के ब्रेन में इसका सिक्रीशन बढ जाता है। यह ब्लडप्रेशर और दिल की धडकन को नियंत्रित करता है। आमतौर पर नॉरएड्रिनालिन व्यक्ति का मूड अच्छा रखता है। इसकी कमी से लोगों को अनावश्यक थकान महसूस होती है। इसकी अधिकता से व्यक्ति को घबराहट और हाई ब्लडप्रेशर की समस्या होती है।

    दर्द निवारक है एंडोर्फिस

    यह केमिकल होने के साथ न्यूरोट्रांस्मीटर भी है। ब्रेन की पिट्यूटरी  ग्लैंड  से 20  तरह के एंडोर्फिसका सिक्रीशन  होता है, जो हमारे शरीर के लिए कई तरह से काम करते हैं। हर व्यक्ति के शरीर में जन्मजात रूप से इसका स्तर अलग-अलग होता है। सामान्यत: खुशमिजाज लोगों में इसका स्तर अच्छा होता है। मुख्यत: यह हमारे शरीर के लिए पेन किलर दवाओं की तरह काम करता है। जब भी हमें थकान या किसी अन्य कारण से दर्द महसूस होता है तो ब्रेन अधिक मात्रा में एंडोर्फिसरिलीज करने लगता है और हमें दर्द से लडने की ताकत मिलती है। यह हॉर्मोन आकस्मिक स्थितियों में रिलीज होता है। स्त्रियों में लेबर पेन के दौरान इसका स्तर बढ जाता है। इसी की वजह से वे दर्द झेल पाती हैं।

    विश्वास जगाता है ऑक्सिटोसिन

    इंसानों के अलावा मैमल ग्रुप के अन्य प्राणियों में भी यह हॉर्मोन पाया जाता है। वैसे तो यह पुरुषों में भी मौजूद होता है, पर मुख्यत: यह आशा, विश्वास, केयरिंग नेचर और मातृत्व की भावना से जुडा हॉर्मोन है। इसलिए स्त्रियों में इसका स्तर ज्यादा अच्छा होता है। जब किसी व्यक्ति का विश्वास टूटता है तो उसके शरीर में इस हॉर्मोन का स्तर कम हो जाता है। उसमें निराशा और उदासी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण के जरिये शरीर में इस हॉर्मोन का स्तर बढाया जा सकता है।

    विश्वास जगाता है ऑक्सिटोसिन

    जब भी व्यक्ति के शरीर में हैप्पी हॉर्मोस (सेरोटोनिन, डोपापिन और नॉरएड्रिनालिन.आदि) की कमी होती है तो कॉर्टिसोल सक्रिय हो जाता है। इसकी सक्रियता कुछ पलों के लिए व्यक्ति को चिंतित जरूर करती है, पर इसी की वजह से वह मुश्किलों से लडने के तरीके और अन्य समस्याओं के हल ढूंढ पाता है।

    अब तो आपको यकीन हो गया होगा कि हमारे मूड का बनना या बिगडना इन केमिकल्स पर ही निर्भर होता है और अपने सचेत प्रयास से हम काफी हद तक अपना मूड ठीक रख सकते हैं।

    ..ताकि दिमाग रहे दुरुस्त

    - हमेशा सही समय पर खाने और सोने की कोशिश करें।

    - डाइटिंग के दौरान भी नाश्ता न छोडें क्योंकि इससे शरीर में ब्लड शुगर का लेबल कम हो जाता है। इससे दिमाग तक पोषक तत्व पहुंच नहीं पाते। इसी से ब्रेन डीजेनरेशन की समस्या शुरू हो जाती है, जो स्मरण-शक्ति को कमजोर बना देती है।

    - प्रतिदिन आठ घंटे की नींद जरूर लें। नींद की कमी का याद्दाश्त पर बुरा असर पडता है।

    - नियमित रूप से एक्सरसाइज और योगाभ्यास करें। इससे शरीर में एंडोर्फिस हॉर्मोन का स्तर बढ जाता है और व्यक्ति स्वयं को तनावमुक्त महसूस करता है।

    - जहां तक संभव हो आसपास का वातावरण प्रदूषण मुक्त रखें। ऑफिस जाते समय अपनी गाडी का शीशा बंद रखें क्योंकि बाहर की प्रदूषणयुक्त हवा ब्रेन की कार्य क्षमता कम कर देती है।

    - बादाम और अखरोट का नियमित सेवन करें। ये चीजें स्मरण-शक्ति बढाने में सहायक होती हैं।

    - ब्रेन की एक्सरसाइज के लिए चेस, सूडोको और पजल्स बहुत अच्छे साबित होते हैं।

    - बौद्धिक विषयों पर चर्चा करने से दिमाग की शक्ति बढती है।

    - ज्यादा स्मोकिंग से बचें, इससे ब्रेन की कार्यक्षमता घटती है।

    - सोते समय सिर ढकना दिमाग की सेहत के लिए नुकसानदेह होता है क्योंकि इससे उसे पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलता।

    - मानसिक तनाव की दशा में चॉकलेट या चटपटा खाना फायदेमंद साबित होता है क्योंकि इससे ब्रेन में एंडोर्फिस हार्मोन का सिक्रीशन बढ जाता है, जो तनाव दूर करने में सहायक होता है।

    सखी प्रतिनिधि