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    ठीक नहीं है लापरवाही

    By Edited By:
    Updated: Mon, 31 Aug 2015 04:19 PM (IST)

    पेट के दर्द को अकसर लोग पाचन तंत्र संबंधी गड़बड़ी समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं क्योंकि यह अपेंडिसाइटिस का भी लक्षण हो सकता है। ...और पढ़ें

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    पेट के दर्द को अकसर लोग पाचन तंत्र संबंधी गडबडी समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं क्योंकि यह अपेंडिसाइटिस का भी लक्षण हो सकता है।

    अपेंडिसाइटिस एक ऐसी स्वास्थ्य समस्या है, जो सर्जरी के बाद पूरी तरह दूर हो जाती है, लेकिन कई बार सही जानकारी के अभाव में यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है।

    दरअसल यह समस्या हमारे पाचन-तंत्र के उस अंग से जुडी है, जिसे अपेंडिक्स कहा जाता है। छोटी और बडी आंतें जहां आपस में मिलती हैं, वहीं यह अंग स्थित होता है। यह लगभग चार-पांच इंच लंबी और पतली नली की तरह होता है, जो पेट के दाहिने हिस्से में नीचे की ओर होता है। यह एक ऐसा अवशेषी अंग है, जिसकी कोई उपयोगिता नहीं है, लेकिन इसमें संक्रमण घातक होता है। इसलिए इन्फेक्शन होने पर सर्जरी रिमूवल ही इसका एकमात्र उपचार है।

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    क्या है वजह

    अपेंडिसाइटिस का अर्थ है अपेंडिक्स का संक्रमण। ऐसा माना जाता है कि लगातार कब्ज, पेट में कीडे और आंतों की टीबी होने की वजह से यह समस्या हो सकती है। भोजन में फाइबर की कमी भी इस समस्या की एक प्रमुख वजह है। अगर खानपान में रेशेदार पदार्थों का सेवन न किया जाए तो इससे पेट साफ नहीं रहता और कई बार यही गंदगी अपेंडिक्स की नली में चली जाती है, जिसकी वजह से वहां संक्रमण और सूजन की स्थिति पैदा होती है। कई बार पेट के निचले हिस्से में चोट लगने की वजह से भी यह समस्या हो सकती है। बरसात के मौसम में वातावरण में मौजूद गंदगी और बैक्टीरिया की वजह से आंतों में इन्फेक्शन हो जाता है, जो अंतत: अपेंडिसाइटिस की वजह बन जाता है। उपचार में देर होने पर इस अंग के फटने का भी ख्ातरा रहता है और यह स्थिति जानलेवा हो सकती है।

    प्रमुख लक्षण

    -पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द

    -भूख न लगना

    - कब्ज की समस्या

    -जी मचलना और उल्टी

    -नब्ज का तेज चलना और बुख्ाार

    -कभी-कभी यूरिनेशन में रुकावट

    कैसे करें बचाव

    अगर संतुलित खानपान और नियमित दिनचर्या का पालन किया जाए तो इससे पेट साफ रहता है और यही इस बीमारी से बचाव का एकमात्र उपाय है। जहां तक संभव हो फलों और हरी सब्जियों को अपनी फूड हैबिट में शामिल करें। दलिया, ओट्स और सूजी जैसी फाइबर युक्त चीजों का नियमित सेवन भी बचाव में मददगार होता है। जहां तक संभव हो मैदा, घी-तेल और अधिक मिर्च-मसाले वाले भोजन से दूर रहने की कोशिश करें और ज्यादा पानी पीएं।

    जांच एवं उपचार

    अगर कभी पेट में तेज दर्द हो तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। आमतौर पर पेट के एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड, यूरिन और ब्लड टेस्ट के जरिये इस बीमारी का पता लगाया जाता है। इसका एकमात्र उपचार सर्जरी ही है। वैसे तो सर्जरी के पुराने तरीके का आज भी इस्तेमाल होता है, जिसमें पेट के दाएं हिस्से को काट कर वहां से अपेंडिक्स को बाहर निकाला जाता है, पर इसके बाद मरीज को स्वस्थ होने में कम से कम पंद्रह दिनों का समय लगता है। आजकल लैप्रोस्कोपी द्वारा भी इसकी सर्जरी की जाती है, इसके जरिये पेट के प्रभावित हिस्से में तीन से पांच मिलीमीटर का छेद किया जाता हैं और दूरबीन की मदद से शरीर के प्रभावित हिस्से को देखकर उसकी सर्जरी की जाती है। इसमें ज्य़ादा ब्लीडिंग नहीं होती और दो-तीन दिनों के बाद मरीज सामान्य दिनचर्या में लौट आता है। इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता, लेकिन सर्जरी के बाद डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

    विनीता

    (अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल दिल्ली के चीफ बैरिएट्रिक सर्जन डॉ. आशीष भनोत से बातचीत पर आधारित)