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    जब बेड रेस्ट हो ज़रूरी

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    Updated: Sun, 13 Nov 2016 02:05 PM (IST)

    अकसर फ्रैक्चर और गंभीर या संक्रामक बीमारी जैसी अवस्थाओं में डॉक्टर कंप्लीट बेड रेस्ट की सलाह देते हैं। यह समय किसी के लिए भी बहुत कष्टदायी होता है। घर में हों या हॉस्पिटल में, इस दौरान सेल्फ केयर बहुत ज़रूरी हो जाती है।

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    आमतौर पर किसी मेजर सर्जरी, कमर में दर्द, फ्रैक्चर और गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद कोई समस्या होने पर डॉक्टर मरीज को घर में आराम करने की सलाह देते हैं। ऐसी स्थिति में शारीरिक व्यायाम बिलकुल न के बराबर होने से अन्य समस्याएं भी होने लगती हैं।
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    हो सकती हैं समस्याएं बेड रेस्ट की सलाह आराम करने के लिए दी जाती है पर कई बार ज्यादा आराम करना भी सेहत के लिए हानिकारक साबित हो जाता है। -आमतौर पर खाने को पचने में तीन घंटे का समय लगता है पर सारा दिन लेटे रहने पर वह ज्यादा समय लेता है। इससे खाने से पहले या बाद में ली जाने वाली दवाइयों का साइड इफेक्ट बढ जाता है। -कोई काम न होने और अकेलेपन की वजह से स्ट्रेस लेवल बढ जाता है। -धूप न मिलने से विटमिन डी की कमी हो सकती है, जिससे व्यक्ति को कमजोरी महसूस होने लगती है।
    रखें अपना खयाल शरीर को थकने से बचाने के लिए आराम करना बहुत जरूरी होता है। बेड रेस्ट के दौरान खुद को फिट रखने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पडती है। -कमर या कूल्हे/पैरों में फ्रैक्चर के दौरान बेड रेस्ट करने पर पैरों की उंगलियों को हर 15 मिनट में हिलाते रहें, जिससे कि ब्लड सर्कुलेशन बना रहे। -गर्भावस्था के दौरान या अबॉर्शन होनेे की स्थिति में बेड रेस्ट की सलाह मिली हो तो हर दो घंटे पर करवट बदलने के साथ ही अपनी उंगलियां भी चलाती रहें। -बच्चों के लिए ऐसी स्थिति ज्यादा मुश्किल हो जाती है। दर्द व समस्या से ध्यान बंटाने के लिए उन्हें कहानियां सुनाएं, कुछ देर के लिए टीवी देखने दें या उनका मन हो तो कुछ पढऩे को दे दें। -बुजुर्गों के लिए भी अकेले समय काटना बहुत कठिन हो जाता है। लेटे-लेटे ही जो काम किए जा सकें, जरूरत होने पर उन्हें सौंप दें। इससे वे उपेक्षित महसूस नहीं करेंगे।
    रहे ध्यान इन बातों का -लॉन्ग टर्म तक बेड रेस्ट करने पर एयर/वॉटर बेड्स का इस्तेमाल करें। -मोबाइल व अन्य तकनीकी संसाधनों का प्रयोग बेहद जरूरी होने पर ही करें। -नमक, घी-तेल व मीठी चीजों का सेवन कम कर दें, अन्यथा वजन बढ सकता है। -लॉन्ग टर्म के बेड रेस्ट के दौरान अकसर समय का खयाल नहीं रहता है। कोशिश करें कि सभी दवाइयां व खाना समय पर खाएं।कई कंपनियों में 'वर्क फ्रॉम होम' का कल्चर बढता जा रहा है पर आराम का मतलब सिर्फ आराम होता है। अपने आसपास लोगों की भीड इकट्ठी न करें, बातों में ऊर्जा व्यर्थ करने के बजाय आराम करें।
    सखी फीचर्स फिजिशियन डॉ. रतन कुमार वैश्य से बातचीत पर आधारित