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    लघुकथा- रंग का राज

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Tue, 01 Nov 2016 02:45 PM (IST)

    बीरबल ने हमेशा ही तरह तपाक से जवाब दिया कि बादशाह सलामत आप मेरे रंग का राज नहीं जानते इसलिए ये बात कह रहे है।

    एक बार बीरबल बादशाह अकबर के दरबार में देरी से पहुंचे तो क्या देखते है कि बादशाह समेत सभी दरबारी उन पर हंस रहे है। उन्होंने ने बादशाह से पूछा कि बादशाह सलामत आप सभी हंस क्यों रहे है? इस पर बादशाह को मसखरी सूझी और वो बीरबल से कहने लगे बीरबल असल में हम सभी लोग रंगों के बारे में बात कर रहे थे जैसे कि सभी दरबारी गोरे है मैं स्वयं भी गोरा हूँ जबकि हम सब में केवल तुम हो जो काले हो इसलिए जब तुम आये तो हम सभी लोगें की हंसी छूट गयी ।

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    बीरबल ने हमेशा ही तरह तपाक से जवाब दिया कि बादशाह सलामत आप मेरे रंग का राज नहीं जानते इसलिए ये बात कह रहे है। बादशाह अकबर ने उत्सुकता से पूछा कैसा राज बीरबल? तो बीरबल ने बादशाह को जवाब दिया कि हजूर माफ करें। जब भगवान ने संसार को बनाया तो वो पेड़ पौधे और पशु पक्षी बनाकर संतुष्ट नहीं हुए। फिर उन्होंने मानव बनाया। वे उसे देखकर बहुत प्रसन्न हुए कि उन्होंने एक बहुत अच्छी कृति बनाई है तो उन्होंने सभी मनुष्यों को पांच मिनट का समय देते हुए उनसे कहा कि वो बुद्धि बल और धन में से कुछ भी ले सकते है। इस पर मैंने अपनी रूचि से सारा समय बुद्धि लेने में लगा दिया और बाकि चीजों को लेने का समय ही नहीं बचा था। आप सभी ने रूप और धन इक्कठा करने में अपना सारा समय लगा दिया। अब बाकी के लिए मैं क्या कहूँ आप खुद ही समझ लीजिये।

    बीरबल की बात सुनकर हंस रहे दरबारी सन्न रह गये और उनके चेहरे से हसी गायब हो गयी सब नीचे देखने लगे। इस पर बादशाह बीरबल की हाजिरजवाबी देखकर खिखिलाकर हंस पड़े।

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