साहित्य के अनुवाद और रूपांतरण पर विमर्श
<p>विश्व पुस्तक मेले में अनुवाद, साहित्य का फिल्मों में रूपांतरण व कई अन्य विषयों पर गंभीर विमर्श हुआ। विमर्श में कई लेखकों, आलोचकों और फिल्म अभिनेता फारूख शेख ने हिस्सा लिया। </p>
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। विश्व पुस्तक मेले में अनुवाद, साहित्य का फिल्मों में रूपांतरण व कई अन्य विषयों पर गंभीर विमर्श हुआ। विमर्श में कई लेखकों, आलोचकों और फिल्म अभिनेता फारूख शेख ने हिस्सा लिया। नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा डिपार्टमेंट ऑफ मॉर्डन इंडियन लैंग्वेजेज एंड लिटरेरी स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय के सहयोग इंडियन लिटरेचर एंड टॉवर ऑफ बेबल-क्रॉस ट्रांसलेशन अमंग इंडियन लेग्वेजेज विषय पर संगोष्ठी हुई।
जिसमें साहित्य अकादमी के पूर्व सचिव डॉ. सच्चिदानंद ने कहा कि बिना अनुवाद के साहित्य का प्रचार-प्रसार असंभव है। संगोष्ठी में सुधीश पचौरी, एनबीटी के निदेशक एमए सिकंदर, डीयू कुलपति प्रो. दिनेश सिंह, निर्मलकांति भट्टाचार्जी, प्रो. स्वप्न चक्रवर्ती और प्रो. अवधेश कुमार सिंह ने हिस्सा लिया। भारतीय फिल्मों में साहित्यिक कृतियों के रूपांतरण की शैली व तकनीक पर संतोष पठारे की ऑडियो-विजुअल प्रस्तुति हुई। फारूख शेख ने पढना किस तरह एक अभिनेता पर असर डालता है विषय पर संवाद किया। उन्होंने कहा कि आज की फिल्में मदारी का खेल बनकर रह गई हैं
बच्चों के लिए पॉपअप बुक
विश्व पुस्तक मेले के हॉल संख्या तीन में विश्व बुक्स द्वारा बच्चों की किताबों का विमोचन हुआ। पॉपअप बुक, मॉडल कंस्ट्रक्शन बुक और बच्चों की पत्रिका चंपक की सीडी का विमोचन डायरेक्टर मुदित मोहिनी ने किया।
आध्यात्मिक पत्रिका का विशेषांक
हॉल नंबर-11 में सुखी जीवन जीने की कला पर केंद्रित मासिक पत्रिका शिवोम टाइम्स के सदी विशेषांक का विमोचन आध्यात्मिक गुरु शिवोम विनोद शिवोमानंद ने किया। इस मौके पर पत्रिका के संपादक सुधीर कुमार शर्मा अन्य लोग मौजूद थे।
पुस्तकों का विमोचन
दो महिला लेखिकाओं की पुस्तकों का भी विमोचन हुआ। अल्पना मिश्र की कब्र भी कैद और जंजीरें भी, कुसुम खेमानी की पुस्तक सच कहती कहानियां और प्रियदर्शन की पुस्तक नष्ट कुछ भी नहीं होता का विमोचन वरिष्ठ आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी ने किया।