बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे कमलेश्वर
<p>स्वाधीन भारत के सर्वाधिक क्रियाशील और मेधावी हिंदी साहित्यकार कमलेश्वर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी भाषा को समृद्ध एवं रोचक बनाने तथा इससे युवा ...और पढ़ें

नई दिल्ली। स्वाधीन भारत के सर्वाधिक क्रियाशील और मेधावी हिंदी साहित्यकार कमलेश्वर बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। हिंदी भाषा को समृद्ध एवं रोचक बनाने तथा इससे युवाओं एवं नए लेखकों को जोडने में कमलेश्वर की भूमिका अहम है।
नई कहानी के अगुआ और विलक्षण कथाकार कमलेश्वर के बारे में प्रसिद्ध साहित्यकार और उनके मित्र राजेंद्र यादव ने कहा कि हालांकि मुझे, मोहन राकेश और कमलेश्वर तीनों को नई कहानी आंदोलन का नेतृत्व करने वालों के तौर पर देखा-जाना जाता है, पर नई कहानी आंदोलन को हिंदी साहित्य में स्थापित करने में कमलेश्वर की भूमिका अहम थी। वह 1950 के दशक में शुरू हुए इस आंदोलन के प्रारंभिक पैरोकारों में सबसे अधिक जुझारू थे।
उपन्यास कितने पाकिस्तान के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कमलेश्वर का जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ था। उनका मूल नाम कमलेश्वर प्रसाद सक्सेना था। हमेशा नए-नए प्रयोगों के लिए प्रयत्नशील रहने वाले पद्मभूषण कमलेश्वर के बारे में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वाजपेयी ने कहा कि वह एक बहुआयामी व्यक्ति थे। वह कथाकार, उपन्यासकार, पटकथा लेखक, संपादक सभी थे। साहित्य और मीडिया क्षेत्र के प्रमुख हस्ताक्षर कमलेश्वर ने युवा लेखकों को आगे बढाने में अहम योगदान दिया।
प्रूफ रीडर के तौर अपने कैरियर की शुरूआत करने वाले कमलेश्वर सारिका, धर्मयुग, दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं के संपादक भी रहे। अशोक वाजपेयी ने कहा कि वह विख्यात कहानीकार थे। कहानी संग्रह राजा राजबंसिया से उन्हें खूब ख्याति मिली। उनकी कहानियों में कस्बाई गंध है।
मर्मस्पर्शी लेखक कमलेश्वर ने तीन सौ से ऊपर कहानियां लिखी हैं। उनकी कहानियों में मांस का दरिया, नागमणि, जार्ज पंचम की नाक, कस्बे का आदमी आदि उल्लेखनीय हैं। उन्होंने दर्जन भर उपन्यास भी लिखे हैं। इनमें डाक बंगला, तीसरा आदमी, काली आंधी प्रमुख हैं। गुलजार की चर्चित फिल्म आंधी जिसे आपातकाल के दौरान प्रदर्शित करने पर रोक लगा दी गई थी, उपन्यास काली आंधी पर आधारित है। फिल्म और टेलीविजन लेखन के क्षेत्र में भी कमलेश्वर को काफी सफलता मिली। उन्होंने सारा आकाश, द बर्निंग ट्रेन, मिस्टर नटवरलाल जैसी फिल्मों सहित करीब 100 हिंदी फिल्मों की पटकथा लिखी।
लोकप्रिय टीवी सीरियल चंद्रकांता के अलावा दर्पण और एक कहानी जैसे धारावाहिकों की पटकथा लिखने वाले भी कमलेश्वर ही थे। उन्होंने कई वृत्तचित्रों और कार्यक्रमों का निर्देशन भी किया। अपने जीवन के अंत तक क्रियाशील रहे कमलेश्वर 75 वर्ष की आयु में 27 जनवरी 2007 को इस दुनिया से चल बसे।

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