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    Rajasthan: भील प्रदेश की मांग फिर उठी, जिला मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन; कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 03:05 AM (IST)

    उदयपुर डूंगरपुर और दलोट में भील समुदाय ने अपनी पुरानी मांग भील प्रदेश के पृथक राज्य गठन को लेकर जोरशोर से आवाज उठाई। 15 जुलाई को जिला एकीकरण समिति के तहत आदिवासी भील समाज ने उदयपुर जिला मुख्यालय पर सांकेतिक धरना देकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इसके साथ ही डूंगरपुर में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने भी कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।

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     डूंगरपुर में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने भी कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया (सांकेतिक तस्वीर)

     जेएनएन, उदयपुर। संभाग के उदयपुर, डूंगरपुर और दलोट में भील समुदाय ने अपनी पुरानी मांग 'भील प्रदेश के पृथक राज्य गठन' को लेकर जोरशोर से आवाज उठाई। 15 जुलाई को जिला एकीकरण समिति के तहत आदिवासी भील समाज ने उदयपुर जिला मुख्यालय पर सांकेतिक धरना देकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

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    महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया

    इसके साथ ही डूंगरपुर में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने भी कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। दलोट ब्लॉक में भी रैली निकाल कर तहसीलदार को महामहिम राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया गया।

    भील प्रदेश की मांग जायज- खराडी

    जिला एकीकरण समिति उदयपुर के प्रभारी भेरूलाल खराडी ने बताया कि स्वतंत्रता के बाद रियासतों के विलय के समय भील प्रदेश को अलग राज्य बनाया जाना चाहिए था, लेकिन तत्कालीन सरकारों ने इसे खंड-खंड कर दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक दृष्टि से एक राज्य का गठन संभव है, इसलिए भील प्रदेश की मांग जायज है।

    राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों को मिलाकर अलग भील प्रदेश बनाने की मांग की जा रही है। भारत आदिवासी पार्टी के जिलाध्यक्ष अनुतोष रोत के अनुसार, इन राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों की संस्कृति, भाषा और परंपराएं समान हैं। अलग राज्य बनने से आदिवासियों के अधिकार सुरक्षित होंगे, विकास के लिए विशेष योजनाएं बन सकेंगी और समाज को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा।

    ज्ञापन में कई प्रमुख मांगे शामिल

    दलोट ब्लॉक के संयोजक किशन मईडा ने बताया कि ज्ञापन में कई प्रमुख मांगे शामिल हैं, जिनमें राष्ट्रीय स्तर पर विश्व आदिवासी दिवस पर अवकाश, भीली भाषा को मान्यता, आदिवासियों को खनिज संपदा का हिस्सा, वन संरक्षण कानून 2023 का आदिवासी क्षेत्रों में न लागू होना, माही नदी का पानी प्रतापगढ़ में सप्लाई, और पवन चक्कियों से मिलने वाली बिजली स्थानीय निवासियों को मुफ्त देने की मांग शामिल है।

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