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    Sita Ashoka: उदयपुर में खिला दुर्लभ सीता अशोक, औषधीय गुणों से युक्त वृक्ष लोगों को कर रहा आकर्षित

    By Jagran NewsEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Sat, 18 Mar 2023 12:21 AM (IST)

    सीता अशोक शो-प्लांट के रूप में लगाए जाने वाले लंबे अशोक से भिन्न है। यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9 इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। (फोटो उदयपुर के हिरणमगरी सेक्टर-6 में पुष्पित हुआ सीता अशोक का वृक्ष)

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    Sita Ashoka: उदयपुर में खिला दुर्लभ सीता अशोक

    उदयपुर, जागरण संवाददाता। रावण की लंका में स्थित अशोक वाटिका का वह वृक्ष जिसकी छांव तले बैठने तथा इसके फूलों की महक से देवी सीता के शोक का हरण हुआ था, इन दिनों उदयपुर जिले में भी अपनी मोहक आभा बिखेरने लगा है। दुर्लभ और औषधीय गुणों से युक्त यह वृक्ष उदयपुर शहर में कुछ स्थानों पर अपनी पूरे सौंदर्य के साथ पुष्पित हो चुका है और लोगों को आकर्षित कर रहा है।

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    इस दुर्लभ वृक्ष के बीजों से पौधे तैयार कर शहर में कई स्थानों पर रोपित कर इसकी वंशवृद्धि के कार्य में लगे हुए है सेवानिवृत्त उप वन संरक्षक वीएस राणा। वर्तमान में सीता-अशोक (सराका इंडिका) नामक यह दुर्लभ वृक्ष राणा के हिरण मगरी सेक्टर-6 में कुछ स्थानों पर पुष्पित हुआ है।

    करीब 12 साल पहले रोपे गए इस वृक्ष पर खिले नारंगी-लाल रंगों की फूलों की आभा देखते ही बन रही है। इसके अलावा 2 पेड़ आरसीए और एक स्वरूपसागर में इन दिनों पुष्पित होकर अपनी मनोहारी आभा बिखेर रहा है। राणा ने गत वर्षों में अपने निवास पर स्थित पेड़ से बीजों को संकलित कर एक दर्जन से अधिक पौधे तैयार कर शहर में विभिन्न लोगों को भी वितरित किए हैं।

    औषधीय गुणों से युक्त है सीता अशोक

    पर्यावरणीय विषयों के जानकारों के अनुसार, यह ही असली अशोक वृक्ष है। जिले में ऐसे कुछ वृक्ष ही हैं। इसके पुष्प, पत्तियों, छाल व फलों का उपयोग कई प्रकार की औषधियों के रूप में होता है। अशोक का फूल, छाल और मूल नाना प्रकार के औषधियां बनाने में काम आते हैं।

    ऐसा होता है सीता अशोक

    सीता अशोक शो-प्लांट के रूप में लगाए जाने वाले लंबे अशोक से भिन्न है। यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9 इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में तांबे जैसे रंग के होते हैं, इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं। इसके नारंगी रंग के फूल वसंत ऋतु में आते हैं, जो बाद में लाल रंग के हो जाते हैं। सुनहरी लाल रंग के फूलों वाला होने से इसे 'हेमपुष्पा' भी कहा जाता है।