Rajasthan: संघ के प्रचारक निंबाराम की गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट की रोक, जानें-क्या है मामला
Rajasthan आरएसएस के प्रचारक निंबाराम मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मामला जयपुर नगर निगम क्षेत्र में घर-घर कचरा संग्रहण करने वाली बीवीजी इंडिया कंपनी के 276 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान के बदले 20 करोड़ की रिश्वत मांगने का है।

जागरण संवाददाता, जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक निंबाराम मामले में शुक्रवार को राजस्थान उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। जयपुर नगर निगम क्षेत्र में घर-घर कचरा संग्रहण करने वाली बीवीजी इंडिया कंपनी के 276 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान के बदले 20 करोड़ की रिश्वत मांगने के मामले में न्यायालय ने निंबाराम को राहत बरकरार रखते हुए उनके विरुद्ध किसी भी कार्रवाई पर रोक के आदेश दिए हैं। इस मामले में सरकारी अधिवक्ता मंगल सिंह ने न्यायालय में अपनी रिपोर्ट पेश की। जस्टिस फरजंद अली की कोर्ट ने सरकारी अधिवक्ता को अगली सुनवाई पर केस डायरी सहित आडियो और वीडियो पेश करने के आदेश दिए। तब तक निंबाराम को राहत बरकरार रखने के भी आदेश दिए गए।
मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को
निंबाराम की तरफ से अधिवक्ता गुरुचरण गिल गिल ने पैरवी की। इस मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी। न्यायालय में निंबाराम के अधिवक्ता ने उन्हें झूठा फंसाने का आरोप लगाया। साथ ही, यह भी कहा कि निंबाराम मामले में पहले से न्यायालय ने स्टे दे रखा है। सरकारी अधिवक्ता ने इसका विरोध करते हुए जानकारी दी गई कि पूर्व में कोई स्टे कोर्ट से नहीं दिया गया। बल्कि 15 दिन में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के सामने जाकर स्पष्टीकरण देन के लिए निंबाराम को पेश होने के लिए कहा गया था। सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि न्यायालय में गलत तथ्य पेश किए जा रहे हैं। इससे पहले पिछले साल 29 सितंबर को भी न्यायालय से निंबाराम को राहत मिली थी। उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई थी।
जानें, क्या है मामला
पिछले साल भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने नगर निगम ग्रेटर की महापौर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि संदीप चौधरी, ओमकार सप्रे और निंबाराम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। एक वीडियो जांच के दौरान सामने आया था, जिसमें राजाराम कंपनी के प्रतिनिधियों से रिश्वत की रकम मांग रहा था। इस वीडियो में निंबाराम नजर आए थे। ब्यूरो ने लेनदेन में सहयोगात्मक भूमिका का आरोपित माना है। इसके बाद निंबाराम ने ब्यूरो में दर्ज मामले को रद करवाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेष के चलते शामिल किया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेता सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी के बयान दे रहे हैं।
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