राजस्थान हाईकोर्ट का अहम फैसला, विवाहित पुत्री को सरकारी कर्मचारी का आश्रित मानकर भुगतान करने का आदेश
Rajasthan HC राजस्थान हाईकोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी की विवाहित पुत्री को मरणोपरान्त आश्रित न मानकर लाभ देने से इन्कार करने पर पीएचडी विभाग को भुगतान देने का आदेश जारी किया है। कोर्ट को अवगत करवाया गया कि याचिका प्रार्थना पत्र अस्वीकार करना गैर कानूनी व असंवैधानिक है जिसके बाद राजस्थान उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर सख्त निर्देश दिया।

जेएनएन, जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने आज एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकारी कर्मचारी की विवाहित पुत्री को मरणोपरान्त आश्रित न मानकर लाभ देने से इन्कार करने पर पीएचडी विभाग को भुगतान देने का आदेश जारी किया है।
राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीपति दिनेश मेहता द्वारा याचि भावना कंवर की ओर से पेश की गई एकलपीठ याचिका की सुनवाई करते हुए याचिका विभाग व सरकार को विवाहिता को भुगतान करने के आदेश पारित किया है।
सरकारी कर्मचारी के मरने बाद बेटी को माना गया आश्रित
याचिकाकर्ता भावना कंवर के अधिवक्ता प्रवीण दयाल दवे ने राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष दीवानी एकलपीठ याचिका प्रस्तुत कर बताया कि याचि की माता शकुन्तला भाटी जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग में कर्मचारी थी, जिनका राजकीय सेवारत रहने के दौरान निधन हो गया, जिनके दो पुत्र एक पुत्री है।
पुत्री द्वारा मरणोपरान्त मिलने वाले हितलाभ को प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र विभाग में प्रस्तुत किया गया, शकुन्तला भाटी के द्वारा स्वयं की सेवा पुस्तिका में परिवार के किसी सदस्य को नोमिनेशन नही किये जाने के कारण पेंशन विभाग द्वारा बकाया राशि, पेंशन, ग्रेच्युटी एवं उपार्जित अवकाश के नगदीकरण का भुगतान राजस्थान सिविल सेवा नियम पेंशन नियम 1996 के नियम 54 के नियम 56 के अनुसार विवाहित पुत्री होने के कारण देय नहीं होना कहकर प्रार्थना पत्र अस्वीकार कर दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट में दर्ज की गई रिट याचिका
विभाग ने इस सम्बंध में परिलाभ के लिए किये अभ्यावेदन को अस्वीकार कर दिया था। जिसके बाद राजस्थान उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका प्रस्तुत कर कहा कि राज्य सरकार द्वारा राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम 1996 के संशोधन कर सर्कुलर जारी कर आश्रित में विवाहित पुत्री को जोड़ा जा चुका है।
कोर्ट को अवगत करवाया गया कि याचिका प्रार्थना पत्र अस्वीकार करना गैर कानूनी व असंवैधानिक है, राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर राजस्थान सरकार के सचिव पी.एच.ई.डी. विभाग चीफ इंजिनियर राजस्थान, चीफ इंजिनियर जोधपुर, सुपरिडेन्ट इंजिनियर जोधपुर व अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं।
इसके बाद दोनों पक्षों की सुनवाई कर याचिका स्वीकार कर उत्तराधिकार के शासकीय नियमों के तहत राशि प्रदान करने के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय रामचंद्र तलवार व अन्य बनाम देवेंद्र कुमार तलवार व अन्य व शरबती देवी बनाम उषा देवी का हवाला देते हुए कहा कि याचि व अन्य जो भी लीगल रिप्रेजेंटेटिव है उनके प्रिसक्राइब्ड फॉर्म में चार सप्ताह के भीतर-भीतर विभाग को आवेदन करने पर भुगतान किये जाने का आदेश पारित किया है।
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