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    राजस्थान में एयर एम्बुलेंस के जरिए पहली बार लाए गए अंग, जोधपुर एम्स में किडनी और लीवर का सफल प्रत्यारोपण

    Updated: Sun, 15 Dec 2024 07:25 PM (IST)

    Jodhpur राजस्थान में एक ऐतिहासिक क्षण में पहली बार एयर एंबुलेंस के जरिए सफल अंग प्रत्यारोपण किया गया। हेलीकॉप्टर के जरिए लिवर और किडनी जैस महत्वपूर्ण अंग एम्स जोधपुर लाए गए। यह पहला प्रत्यारोपण है जिसमें लिवर और किडनी दोनों एक ही मरीज में लगाए जा रहे हैं। बहु-अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने की दिशा में यह एक महत्वाकांक्षी प्रयास है।

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    यह पहला प्रत्यारोपण है, जिसमें लिवर और किडनी दोनों एक ही मरीज में लगाए जा रहे हैं। (File Image)

    जेएनएन, जोधपुर। राजस्थान में पहली बार, एक हेलीकॉप्टर के जरिए लिवर और किडनी जैस महत्वपूर्ण अंग एम्स जोधपुर लाए गए। यह कदम अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है। ये अंग झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में एक कैडेवरिक (मृतक) डोनर से प्राप्त किए गए और शीघ्रता से लाकर उनकी गुणवत्ता और उपयोगिता सुनिश्चित की गई। इनका प्रत्यारोपण रविवार शाम ही एम्स जोधपुर में किया है।

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    जानकारी अनुसार डोनर, 33 वर्षीय विष्णु प्रसाद, 11 दिसंबर 2024 को झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती हुए थे। वह एक सड़क दुर्घटना में सिर में गंभीर चोट का शिकार हुए थे। उनकी और उनके परिवार की मानवीय सोच ने इस जीवनरक्षक प्रक्रिया को संभव बनाया। यह राजस्थान में पहली बार है, जब अंग परिवहन के लिए एयर एम्बुलेंस का उपयोग किया गया है।

    अंगों की गुणवत्ता सुरक्षित

    इससे यात्रा का समय घटा है और अंगों की गुणवत्ता को सुरक्षित रखा गया है। यह पहला प्रत्यारोपण है, जिसमें लिवर और किडनी दोनों एक ही मरीज में लगाए जा रहे हैं। जानकारों के अनुसार AIIMS जोधपुर में बहु-अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। लिवर प्रत्यारोपण प्रक्रिया डॉ. वैभव वार्ष्णेय और उनकी टीम द्वारा, जबकि किडनी प्रत्यारोपण डॉ. संधू और उनकी टीम द्वारा हुआ।

    अंगों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए AIIMS जोधपुर की समर्पित टीम का डॉ. पीयूष वार्ष्णेय, डॉ. सुभाष सोनी, डॉ. दीपक भीरूड, और डॉ. जितेंद्र ने नेतृत्व किया। इनके साथ ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर कुलदीप सिंह और रमेश, और नर्सिंग ऑफिसर मनीष, प्रवीण, और दामोदर ने इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंगों की सुरक्षित प्राप्ति के लिए डॉ. शिवचरण नावरिया ने अनुमतियों के समन्वय और सुविधाओं के निर्माण में योगदान दिया।