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    Jodhpur: 10 साल की लड़की के पेट से निकाला बालों का गुच्छा, जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में हुआ ऑपरेशन

    By Sonu GuptaEdited By:
    Updated: Wed, 24 Aug 2022 08:29 PM (IST)

    जोधपुर में एक 10 साल की बालिका के सर्जरी के माध्यम से ऑपरेशन कर बाल के गुच्छे को शरीर से बाहर निकाला गया। बाल के गुच्छे की लंबाई लगभग 25 इंच एवं आमाशय वाले हिस्से में लगभग 12 इंच गुना 5 इंच साइज का था।

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    10 साल की एक लड़की के पेट से निकला बालों का गुच्छा।

    राज्य ब्यूरो, जोधपुर। बाल खाने की आदत अक्सर बच्चों में होती है लेकिन यह समस्या भी बड़ी बीमारी का कारण बनती है। जोधपुर में एक 10 साल की बालिका के सर्जरी के माध्यम से ऑपरेशन कर बाल के गुच्छे को शरीर से बाहर निकाला गया। इस बाल के गुच्छे की लंबाई लगभग 25 इंच एवं आमाशय वाले हिस्से में यह आमाशय का आकार लेते हुए लगभग 12 इंच गुना 5 इंच साइज का था। जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज से संबंध गांधी अस्पताल में चिकित्सकों की टीम ने यह सर्जरी की और बालों के गुच्छे को बाहर निकाला। पेशेंट बच्ची अब स्वस्थ है।

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    डॉक्टरों ने बीमारी का पता लगाया

    जानकारी के मुताबिक, 10 वर्षीय बालिका बार बार उल्टी, भूख नहीं लगने और पेट के ऊपरी हिस्से में गांठ जैसी फीलिंग की शिकायत के साथ मथुरादास माथुर अस्पताल में डॉ सुनील दाधीच गैस्ट्रोलॉजिस्ट के पास गई। डॉक्टर ने दूरबीन से एंडोस्कोपी जांच द्वारा पता लगाया कि बालिका ट्राइकोबेज़ोर नामक बीमारी से ग्रसित हैं। डॉ सुनील दाधीच ने एंडोस्कोपी द्वारा इस बाल के गुच्छे को निकालने की कोशिश की पर बड़ा होने के कारण यह निकल नहीं पाया, जिसके बाद उन्होंने सर्जरी की सलाह दी। जिसके बाद मरीज के रिश्तेदार सर्जरी करवाने के लिए महात्मा गांधी अस्पताल में डॉक्टर दिनेश दत्त शर्मा की यूनिट में भर्ती हुए। मरीज के परिजनों से बीमारी के बारे में जानकारी लेने पर पता लगा कि मरीज को अपने स्वयं के बाल नोच-नोच कर खाने की आदत है, मरीज की इस आदत को छुड़ाने के लिए परिजनों ने काफी जतन किए पर बच्चे की यह आदत छुड़ा नहीं पाए।

    मानसिक रूप कमजोर लोगों में होती है यह बीमारी

    डॉ दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि मरीज की इस बीमारी को ट्राईकोफेजिया कहते हैं एवं बाल खाने की आदत की वजह से यह बाल शरीर की आहार नाल में इकट्ठे होना शुरू हो जाते हैं तथा अमाशय में इकट्ठा होने से जो बालों का गुच्छा बनता है उसको ट्राइकोबेजोर ( Hair Ball) कहा जाता है क्योंकि बाल को पचाने की क्षमता मनुष्य के आहार नाल में नहीं होती है। इस वजह से यह एक जगह इकठ्ठा होकर बालों का गुच्छा बना देते है। यह बीमारी साधारणतया मानसिक रूप से कमजोर, विक्षिप्त एवं असामान्य व्यवहार करने वाली महिलाएं जो 15 से 30 साल की उम्र की होती है उनमें होती है, लेकिन इस मरीज में मानसिक कमजोरी या विक्षिप्तता जैसे कोई लक्षण नहीं थे फिर भी बाल खाने की आदत की वजह से यह बीमारी हुई है ।

    मरीज को हो रही थी उल्टियां

    इस बाल के गुच्छे ने अमाशय एवं छोटी आत के शुरुआती भाग को पूर्ण रूप से ब्लॉक कर दिया था इस कारण मरीज जो भी खाता वह आंतों में रूकावट के कारण आगे नहीं जा पा रहा था और उससे उल्टियां हो रही थी। सभी जांचे करवा कर इमरजेंसी ऑपरेशन प्लान किया गया एवं ऑपरेशन कर इस बाल के गुच्छे को शरीर से बाहर निकाला गया इस बाल के गुच्छे की लंबाई लगभग 25 इंच एवं आमाशय वाले हिस्से में यह आमाशय का आकार लेते हुए लगभग 12 इंच गुना 5 इंच साइज का था।

    डॉक्टरों की टीम ने की सर्जरी

    ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. दिनेश दत्त शर्मा के साथ डॉ.यदुनाथ एवं डॉ. सुनील मीणा थे तथा एनेस्थीसिया टीम में डॉ. फतेह सिंह भाटी, डॉ. भरत चौधरी एवं डॉ. रश्मि स्याल थे। नर्सिंग स्टाफ में अरविंद अपूर्वा रेखा सोलंकी, ज्योती, आदि का भी योगदान रहा ।मरीज का यह ऑपरेशन महात्मा गांधी अस्पताल में पूर्णतया निशुल्क किया गया है। डॉ.दिलीप कच्छावा, प्रिंसिपल एवं कंट्रोलर एस.एन मेडिकल कॉलेज एवं डॉ. राजश्री बेहरा अधीक्षक महात्मा गांधी अस्पताल ने ऑपरेशन करने वाली टीम को बधाई दी एवं बच्चों के अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों की इस प्रकार की आदतों को छुड़वाए ताकि भविष्य में ऐसी परेशानियां ना हो।