Rajasthan Water Crisis: जोधपुर से पाली के लिए 21 सितंबर से चलेगी वाटर ट्रेन
Rajasthan Water Crisis जोधपुर से 21 सितंबर से पाली के लिए वाटर ट्रेन चलाई जाएगी। ट्रेन के माध्यम से हर चार दिन में एक बार पानी की सप्लाई करने की तैयार ...और पढ़ें

जोधपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के मारवाड़ में मानसून की बेरुखी की वजह से इस साल बहुत कम बारिश हुई। इस वजह से जोधपुर संभाग के तमाम बांधों में पानी नहीं पहुंचा, इसलिए कई बांधों में पानी सूख चुका है। वहीं, संभाग के सबसे बड़े जवाई बांध में अब पंद्रह-बीस दिन का ही पानी बचा है। पानी की कमी से पाली जिले में पीने के पानी का भारी संकट है। इस वजह से दो साल बाद जोधपुर से 21 सितंबर से पाली के लिए वाटर ट्रेन चलाई जाएगी। ट्रेन के माध्यम से हर चार दिन में एक बार पानी की सप्लाई करने की तैयारी की जा रही है। पाली जिले में पानी का सबसे बड़ा स्रोत जवाई बांध है। इस बांध में पाली व सिरोही जिले में बरसात होने पर पानी पहुंचता है, लेकिन इस साल बारिश नहीं होने से बांध में पानी नहीं पहुंचा।
वहीं, बांध का पानी अब पेंदे तक पहुंच चुका है। 20 सितंबर तक उसमें पीने का पानी बचा है। उसके बाद डेड स्टोरेज से पानी की आपूर्ति होगी। जवाई बांध से पाली शहर समेत सुमेरपुर, रानी, फलना, बाली जैतारण, सोजत, तखतगढ़, मारवाड़ जंक्शन में पानी सप्लाई होता है। इनके अलावा 1020 ऐसे छोटे- छोटे गांव हैं, जो पीने के पानी के अलावा सिंचाई के लिए जवाई बांध पर निर्भर हैं। पीएचइडी के एससी जगदीश प्रसाद शर्मा के अनुसार, जवाई बांध से रोजाना नौ से 10 करोड़ लीटर पानी का उपयोग कई कस्बों व गांवों में आपूर्ति करने के लिए लिया जा रहा है। 20 सितंबर के बाद बांध के डेड स्टोरेज से हर रोज 50-60 एमएलडी पानी सप्लाई किया जाएगा, जो 31 अक्टूबर तक चलेगा। इसे देखते हुए हमने 21 सितंबर से वाटर ट्रेन शुरू करने का निर्णय किया है। प्रतिदन चार फेरों में यह ट्रेन करीब 10 एमएलडी पानी जोधपुर से लेकर पाली पहुंचेगी।
गौरतलब है कि राजस्थान में बिजली संकट लगातार गहराता जा रहा है। ग्रामीण इलाकों में तीन से चार घंटे की अघोषित बिजली कटौती शुरू की गई है। कस्बों में भी एक से दो घंटे की कटौती की जा रही है। राज्य में बिजली संकट के चलते ऊर्जा विकास निगम ने पंजाब और उत्तर प्रदेश को की जाने वाली बिजली सप्लाई रोक दी है। दोनों राज्यों को स्थिति सामान्य होने तक बिजली नहीं दी जाएगी। अनुबंध के तहत उत्तर प्रदेश को 280 और पंजाब को 200 मेगावाट बिजली की सप्लाई की जा रही थी। बिजली बेचने के स्थान पर इसे बैंकिंग के रूप में दी जा रही थी। बैंकिंग के तहत जितनी बिजली दोनों राज्यों को दी जाएगी, उतनी ही वापस भी ली जाएगी।

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