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    Rajasthan: आइएसआइ के दो संदिग्ध जासूसी के आरोप में गिरफ्तार, पैसे के लालच में भेजते थे गोपनीय सूचनाएं

    By Sachin Kumar MishraEdited By:
    Updated: Sun, 14 Aug 2022 03:39 PM (IST)

    Rajasthan राजस्थान पुलिस ने भीलवाड़ा और पाली जिलों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया। आरोप है कि दोनों आरोपित इंटरनेट मीडिया के जरिए आइएसआइ के संपर्क में थे।

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    राजस्थान के पाली और भीलवाड़ा से ISI के दो संदिग्ध जासूसी के आरोप में गिरफ्तार। फोटो एएनआइ

    जयपुर, एजेंसी। Rajasthan News: राजस्थान पुलिस ने शनिवार को भीलवाड़ा और पाली जिलों में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (Pakistani Intelligence Agency) के लिए जासूसी करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया। आरोपितों की पहचान नारायण लाल गदरी (27) और कुलदीप सिंह शेखावत (24) के रूप में हुई है और आरोप है कि वे इंटरनेट मीडिया के जरिए ISI के संपर्क में थे।

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    पैसे के लालच में भेजते थे गोपनीय सूचनाएं

    पुलिस महानिदेशक (खुफिया) उमेश मिश्रा ने कहा कि ये युवक पैसे के लालच में गोपनीय सूचनाएं भेज रहे थे और लगातार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के संपर्क में थे। मिश्रा ने कहा कि दोनों युवकों से सभी खुफिया एजेंसियों ने गहन पूछताछ की और जासूसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इन दोनों आरोपितों के बारे में सूचना मिलने के बाद राजस्थान अपराध जांच विभाग (सीआईडी-इंटेलिजेंस) इन दोनों की गतिविधियों पर नजर रख रहा था। पूछताछ के दौरान पता चला कि भीलवाड़ा निवासी नारायण लाल गदरी पैसे के लालच में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के प्रभाव में आया था। वह विभिन्न मोबाइल प्रदाता कंपनियों के सिम कार्ड जारी कर पाकिस्तान के अधिकारियों को दे रहा था। कि वे भारतीय मोबाइल नंबरों से इंटरनेट मीडिया अकाउंट चला सकते हैं। वह उपरोक्त नंबरों पर सेना से संबंधित गोपनीय जानकारी भेज रहा था।

    दोनों आरोपितों के खिलाफ मामला दर्ज

    उन्होंने कहा कि शेखावत एक फर्जी महिला और एक फर्जी सेना के जवान के नाम से इंटरनेट मीडिया अकाउंट बना रहा था और भारतीय सैनिकों से दोस्ती करने के बाद उसे सेना से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं मिल रही थीं। उसके बाद वह महिला पाक संचालन अधिकारी को मुहैया कराता था। मिश्रा ने बताया कि दोनों आरोपितों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लिए जासूसी करने के एवज में पैसे मिलते थे। आरोपितों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता अधिनियम, 1923, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।