Rajasthan Tiger: उस्ताद के नाम से मशहूर टाइगर टी- 24 को हुआ बोन कैंसर
रणथंभोर से सात साल पहले लाया गया था उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क। आस्टियो सारकोमा बोन कैंसर पर होने पर चिकित्सक दल ने मांगा मार्ग दर्शन। कभी रणथंभोर की शान रहा टी-24 टाइगर जो उस्ताद के नाम से मशहूर है। वह आस्टियो सारकोमा बोन कैंसर से जूझ रहा है।

उदयपुर, सुभाष शर्मा। कभी रणथंभोर की शान रहा टी-24 टाइगर जो 'उस्ताद' के नाम से मशहूर है, वह आस्टियो सारकोमा बोन कैंसर से जूझ रहा है। जिसके चलते उसके पैर में मौजूदा हड्डी के समानांतर हड्डी बढ़ रही है और वह उससे होने वाले दर्द की पीड़ा भोग रहा है। स्थानीय चिकित्सकों के पास इसका कोई इलाज नहीं है।
टाइगर टी-24 अब 18 साल का
सात साल पहले रणथंभोर अभयारण्य से उदयपुर भेजे गए टाइगर टी-24 अब 18 साल का हो चुका है। इस उम्र में बोन कैंसर की बीमारी के चलते उसे अब चलने-फिरने में भी तकलीफ होने लगी है। हालांकि वह पहले की तरह भोजन ले रहा है।
काटनी पड़ सकती है एक टांग
टाइगर टी-24 की देखभाल कर रहे पशु चिकित्सकों का कहना है कि इस बीमारी का उपचार है कि उस अंग को काटकर अलग कर दो, जिसमें बोन कैंसर हो। ऐसे में उसकी एक टांग काटनी पड़ सकती है लेकिन इसके बाद उसकी दूसरी तरह की तकलीफ बढ़ने की आशंका है। डॉक्टर हंस कुमार जैन बताते हैं कि टी-24 के उपचार के लिए चार डॉक्टर्स का बोर्ड गठित किया गया है। जिसमें जयपुर के डॉक्टर अरविन्द माथुर भी शामिल हैं।
आपरेशन के बाद बढ़ सकती है उसकी पीड़ा
चिकित्सक बोर्ड की मौजूदगी में ट्रंकुलाइज कर टी-24 का एक्सरे किया गया, जिसमें उसके बोन कैंसर पीड़ित होने का पता चला। फिलहाल उसके आपरेशन को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया। बोर्ड के सदस्यों को आशंका है कि आपरेशन के बाद उसकी पीड़ा बढ़ सकती है, फिलहाल वह आम दिनों के तरह खा-पी रहा है। अब उसके उपचार को लेकर बरेली स्थित इंडियप वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट से मार्गदर्शन मांगा गया है।
हमलावर होने के बाद उसे रणथंभोर से उदयपुर भेजा
टाइगर टी-24 सवाई माधोपुर जिले के रणथंभोर अभयारण की शान हुआ करता था। जहां वह खुले में रहता था। सात साल पहले 7 मई 2015 को उसे उदयपुर लाया गया। तब से वह सज्जनगढ़ स्थित बायोलॉजिकल पार्क में रह रहा है। टाइगर टी-24 रणथंभोर में हमलावर हो गया था ओर उसने एक वनकर्मी सहित चार लोगों पर हमला कर दिया था। उसके बाद उसे उदयपुर लाया गया। उसे वापस रणथंभोर लाए जाने को लेकर वन्यजीव प्रेमियों ने प्रदर्शन भी किए और अदालत में दस्तक दी लेकिन उसे उदयपुर ही रखा गया।

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