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    Rajasthan: इस आइएएस अधिकारी ने पांच साल में डेढ़ लाख बच्चों को पहनाए जूते-चप्पल

    By Sachin MishraEdited By:
    Updated: Fri, 22 Nov 2019 03:05 PM (IST)

    IAS officer of Rajasthan. आइएएस अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने पांच साल पहले राजस्थान में चरण पादुका अभियान प्रारंभ किया था।

    Rajasthan: इस आइएएस अधिकारी ने पांच साल में डेढ़ लाख बच्चों को पहनाए जूते-चप्पल

    जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। IAS officer of Rajasthan. भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) के एक अधिकारी ने पांच साल में डेढ़ लाख स्कूली बच्चों को जूते-चप्पल पहनाए हैं। राजस्थान के दूरदराज ग्रामीण इलाकों में नंगे पैर स्कूल जाने वाले बच्चों की पीड़ा को समझते हुए आइएएस अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी ने पांच साल पूर्व "चरण पादुका" अभियान प्रारंभ किया। वे दानदाताओं के सहयोग से अब तक प्रदेश के जालौर, झालावाड़, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों के डेड़ लाख बच्चों के पैरों में जूते-चप्पल पहना चुके हैं। सोनी ने इसके लिए "चरण पादुका "अभियान चलाया। इस अभियान के तहत पहले तो वे खुद अपने वेतन से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में जाकर नंगे पांव दिखने वाले बच्चों को जूते-चप्पल पहनाते थे, लेकिन बाद में उनके इस सेवा के जज्बे को देखते हुए प्रदेश के कई बड़े दानदाता "चरण पादुका" अभियान से जुड़े।

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    तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को डॉ.सोनी के इस अभियान के बारे में पता चला तो उन्होंने जिला कलेक्टरों को "चरण पादुका" अभियान की तर्ज पर नंगे पांव घूमने वाले बच्चों को जूते-चप्पल पहनाने की योजना बनाने के निर्देश दिए। इसके लिए मुख्य सचिव और शिक्षा विभाग की ओर से बाकायदा आदेश जारी हुए। अब अशोक गहलोत सरकार के शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने डॉ.सोनी के इस अभियान की जानकारी जुटाई और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इसके बारे में विस्तृत कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। इस बारे में गुरुवार को डोटासरा ने एक बैठक भी ली ।

    पहले खुद के जेब खर्च से तो बाद में दानदाताओं के सहयोग से जरूरतमंदों को पहनाए जूत-चप्पल

    राजस्थान के ही श्रीगंगानगर जिला निवासी डॉ.जितेंद्र कुमार सोनी ने पढ़ाई के दौरान अपने पिता से मिलने वाले जेबखर्च से जरूरतमंद बच्चों को जूते-चप्पल पहनाए तो बाद में वे जब आइएएस अधिकारी बने तो गांवों में जाकर नंगे पांव नजर आने वाले बच्चों को दुकान पर ले जाकर जूते-चप्पल पहनाने लगे। शिक्षा के लिहाज से प्रदेश के सबसे पिछड़े जिलों में शुमार जालोर में जिला कलेक्टर बने सोनी ने नंगे पांव घूमने वाले बच्चों को दानदाताओं के सहयोग से जूते-चप्पल पहनाने का अभियान शुरू किया।

    इसके तहत उन्होंने सभी सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को निर्देश दिए कि जिन बच्चों की आर्थिक स्थिति कमजोर हैं और वे नंगे पांव स्कूल आते हैं ,उनकी पहचान कर जिनके जिस नंबर के जूते आते हो उसकी एक सूची तैयार कर कलेक्टर कार्यालय में भेजे। सूची मिलने के बाद सोनी ने जिले के दानदाताओं से संपर्क किया और उन्हे नंबर के हिसाब से जूते स्कूल में भेजने के लिए तैयार किया। सोनी के साथ दानदाता अपने परिवार को लेकर स्कूलों में पहुंचे और नंगे पांव घूमने वाले बच्चों को जूते पहनाए। जालोर जिले में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने 45 हजार से अधिक बच्चों को जूते-चप्पल पहनाए।

    इसके बाद तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे के राजनीतिक कार्यक्षेत्र झालावाड़ के कलेक्टर बने सोनी ने वहां भी यह अभियान शुरू किया और दानदाताओं के सहयोग से 35 हजार बच्चों को जूते-चप्पल पहनाए। अपने गृह जिले श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ़ में 20 हजार से अधिक बच्चों को जूते-चप्पल पहना चुके सोनी वर्तमान में राजस्थान अरबन इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट प्रोजेक्ट (आरयूआईडीपी ) में पदस्थापित है यहां रहते हुए पिछले सात माह में उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के पांच हजार बच्चों को जूते-चप्पल पहनाए है।

    सोनी बोले, आत्म संतुष्टि मिलती है

    सोनी ने दैनिक जागरण को बताया कि इस अभियान में जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए दानदाताओं का काफी सहयोग मिला। नंगे पांव स्कूल जाने वाले बच्चों में दूसरे बच्चों को देखकर कोई हीनभावना नहीं आए और वे पढ़ाई के लिए प्रेरित हो सके,इस उद्देश्य से चरण पादुका अभियान चलाया गया। उन्होंने कहा कि नंगे पांच घूमते बच्चों को जूते-चप्पल पहनाकर आत्म संतुष्टि मिलती है।

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