Rajasthan: 'विश्वास स्वरूपम' नाथद्वारा की शिव प्रतिमा अंदर से भी इतनी विशाल की छोटा-मोटा गांव बस जाए
विश्वास स्वरूपम है विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा इसे देखने में चार घंटे लगेंगे। प्रतिमा के अंदर अलग-अलग ऊंचाई तक जाने के लिए 4 लिफ्ट लगी हैं। यहां दर्शन करने आने वाले लोगों को 20 फीट से लेकर 351 फीट की ऊंचाई तक का सफर करवाया जाएगा।

उदयपुर, संवाद सूत्र। नाथद्वारा स्थित विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा 'विश्वास स्वरूपम' बाहर से ही नहीं, अंदर से इतनी विशाल है कि उसके अंदर छोटा-मोटा गांव बस सकता है। इसके अंदर बने हाल में एक साथ दस हजार लोग आ सकते हैं। इस प्रतिमा की ऊंचाई 369 फीट है।
विश्व के सबसे ऊंची शिव प्रतिमा इतनी विशाल कि इसे देखने में लगेंगे चार घंटे
राजसमंद जिले के नाथद्वारा कस्बे की गणेश टेकरी पर बने विश्व के सबसे ऊंची शिव प्रतिमा इतनी विशाल है कि इसे देखने में चार घंटे लगेंगे। प्रतिमा के अंदर अलग-अलग ऊंचाई तक जाने के लिए 4 लिफ्ट लगी हैं। यहां दर्शन करने आने वाले लोगों को 20 फीट से लेकर 351 फीट की ऊंचाई तक का सफर करवाया जाएगा। इसमें लिफ्ट के जरिए 270 फीट की ऊंचाई तक जाकर शिवजी के बाएं कंधे पर लगे त्रिशूल के दर्शन किए जा सकेंगे। यहीं से तद पदम उपवन को देखा जा सकता है।
शीशे से बना ब्रिज, जहां जाना आसान नहीं
प्रतिमा पर 270 से 280 फीट की ऊंचाई पर जाने के लिए एक छोटा से ब्रिज बनाया गया है। इसकी खासियत है कि यह ब्रिज पत्थर या आरसीसी का नहीं, बल्कि शीशे से बनाया गया है। 21 सीढ़ियों को पार करने में ही इतना वक्त लग जाता है, जितने में आदमी पांच से दस मंजिल चढ़ जाए। शीशे से बनी सीढ़ियों से ग्राउंड फ्लोर का नजारा बेहद ही दर्शनीय है। 280 फीट की ऊंचाई पर भगवान शिव का दायां कंधा है, जहां से भगवान शिव के नाग के दर्शन आपको आसानी से हो सकेंगे।
कहा जाता है कि भगवान शिव श्रीनाथजी से मिलने यहीं आए थे
गणेश टेकरी पर भगवान शिव की प्रतिमा बनाने के पीछे की कहानी भी बेहद रोचक है। प्रतिमा के निर्माता मदन पालीवाल बताते हैं कि भगवान श्रीनाथजी से मिलने भगवान शिव यहीं आए थे और यही बैठे थे। इसलिए शिवजी की प्रतिमा का निर्माण गणेश टेकरी को ही चुना गया। पूर्व मेंं शिव प्रतिमा की ऊंचाई 251 फीट रखा जाना था लेकिन बाद मेंं इसे 369 फीट तक ऊंचा बनाया गया।
शिव प्रतिमा में एक एक्पीरियंस गैलरी का काम फिलहाल जारी है, जहां प्रोजेक्टर के जरिए यह बताया जाएगा कि इस प्रतिमा को बनाने में कितना समय लगा और किन किन चरणों में यह बनाई गई। उल्लेखनीय है कि 50 हजार से अधिक मजदूरों को इस प्रतिमा के निर्माण में दस साल लगे और आगामी 29 अक्टूबर से छह नवम्बर के बीच इसका लोकार्पण प्रख्यात संत एवं कथा वाचक मोरारी बापू करेंगे।
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