नाथद्वारा में है शिव की सबसे ऊंची प्रतिमा, बीस किलोमीटर दूर से दिखाई देती है शिव की 351 फीट की प्रतिमा
उदयपुर संभाग के नाथद्वारा जहां शिवजी की 351 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार हो चुकी है और उसका लोकार्पण इसी साल होगा। इस प्रतिमा की नींव दस साल पहले प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू ने रखी थी। बीस किलोमीटर दूर से दिखाई देती है शिव की 351 फीट की प्रतिमा

उदयपुर, सुभाष शर्मा। विश्व के सबसे ऊंची प्रतिमा की बात की जाए तो उदयपुर संभाग के नाथद्वारा का नाम सामने आएगा। जहां शिवजी की 351 फीट ऊंची प्रतिमा तैयार हो चुकी है और उसका लोकार्पण इसी साल होगा। इस प्रतिमा की नींव दस साल पहले प्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापू ने रखी थी।
उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले में शामिल नाथद्वारा कस्बे की पहचान यूं तो वैष्णव संप्रदाय की सबसे बड़ी पीठ के रूप में है, किन्तु अब विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा के लिए भी पहचाना जाएगा। उदयपुर से जाते समय नाथद्वारा कस्बे से बीस किलोमीटर पहले ही शिव प्रतिमा दिखाई देने लग जाती है। बैठी हुई अवस्था में तैयार यह शिव प्रतिमा 351 फीट ऊंची है, जो नेपाल के कैलाशनाथ मंदिर में लगी शिव प्रतिमा से भी बड़ी है। जिसे नाथद्वारा के बिजनेसमैन मदन पालीवाल ने बनवाया है। पूर्व में इस प्रतिमा की ऊंचाई 251 फीट रखी जानी थी लेकिन बाद में और सौ फीट ऊंचाई बढ़ा दी गई।
बिजनेस मैन मदन पालीवाल बताते हैं कि श्रीराम कथा वाचक एवं उनके गुरु मुरारी बापू की प्रेरणा से उन्होंने विश्व की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनाने का निर्णय दस साल पहले लिया। अब शिव प्रतिमा का काम लगभग पूरा हो चुका है और उसका लोकार्पण इसी साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों कराए जाने के लिए समय मांगा जा रहा है।
कंधे से जा सकेंगे भक्त
इस शिव प्रतिमा के कंधे तक भक्त जा सकेंगे। वहां पहुंचने के बाद अरावली पर्वत श्रृंखला का का विहंगम दृश्य देख पाएंगे। इसके कंधे तक पहुंचने के लिए प्रतिमा के अंदर चार लिफ्ट एवं तीन सीढ़ियां बनाई गई है। दो लिफ्ट 29-29 लोगों की क्षमता वाली हैं यानी एक साथ 29 लोगों को ले जाया सकता है। जबकि दो अन्य लिफ्ट में तेरह-तेरह लोग जा सकेंगे। लिफ्ट और सीढ़ियों के जरिए इस प्रतिमा के 280 फीट ऊंचाई तक जाने की व्यवस्था की गई है। साथ ही प्रतिमा में एक ऐसा हॉल भी बनाया गया है, जिसमें एक साथ चार सौ लोग बैठ पाएंगे।
बताया गया कि महाशिवरात्रि या अन्य पर्व पर महादेव के अभिषेक के लिए शिव प्रतिमा के नीचे पांच-पांच हजार लीटर क्षमता वाले वाले दो छोटे तालाब बनाए हैं। मंदिर के अंदर बनाए गए हॉल में प्रोजेक्टर के जनिए इस प्रतिमा के निर्माण कार्य की शुरुआत से पहले से लेकर अंत तक की प्रक्रिया बताई जाएगी।
अगले ढाई हजार साल तक पूरी तरह सुरक्षित प्रतिमा
26 बीघा क्षेत्रफल में फैले पार्क में बनी शिव प्रतिमा का वजन तीन हजार टन से अधिक बताया जा रहा है। जिसमें 2600 टन स्टील और लोहे का उपयोग लिया गया है। निर्माणकर्ता कंपनी का कहना है कि प्रतिमा इतनी मजबूत है कि आगामी 2500 साल तक यह पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। ढाई सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाएं भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। शिव प्रतिमा प्रोजेक्ट के सीनियर मैनेजर मुनीस नासा के मुताबिक प्रतिमा की डिजाइन का विंड टनल टेस्ट आस्ट्रेलिया में कराया गया। बरसात और धूप से बचाने के लिए इस पर जिंक की कोटिंग की गई है, जो बीस साल तक फीका नहीं पड़ेगा।

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