फेक न्यूज से बचने का 'SURE' तरीका, विश्वास न्यूज ने जयपुर में पत्रकारों को दी फैक्ट चेकिंग की ट्रेनिंग
फेक न्यूज और डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग टीम विश्वास न्यूज अपने प्रतिष्ठित मीडिया साक्षरता कार्यक्रम सच के साथी के तहत राजस्थान की राजधानी जयपुर में थी। वहां उन्होंने किसी भी प्रकार के झूठ अफवाह फर्जी सूचनाओं से बचने के उपाय बताए। टीम ने बताया कि कैसे SURE के जरिए लोग डिजिटल फ्रॉड से बच सकते हैं।
जेएनएन, जयपुर। जागरण न्यू मीडिया की फैक्ट चेकिंग टीम विश्वास न्यूज अपने प्रतिष्ठित मीडिया साक्षरता कार्यक्रम 'सच के साथी' के तहत राजस्थान की राजधानी जयपुर में थी। शुक्रवार को शहर के दो प्रतिष्ठित न्यूज रूम में पत्रकारों को फैक्ट चेकिंग की ट्रेनिंग दी।
जयपुर से प्रकाशित समाचार जगत और महानगर टाइम्स अखबार के पत्रकारों ने इस मीडिया साक्षरता कार्यक्रम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में पत्रकारों को मीडिया साक्षरता, फैक्ट चेकिंग क्यों जरूरी है, वित्तीय धोखाघड़ी से कैसे बचें, जैसे विषय के बारे में विस्तार से बताया गया।
कार्यक्रम को जागरण न्यू मीडिया के एसोसिएट एडिटर आशीष महर्षि और डिप्टी एडिटर देविका मेहता ने संबोधित किया। कार्यक्रम में समाचार जगत के तरुण रावल, महानगर टाइम्स के मनीष गोधा समेत कई पत्रकार शामिल हुए।
फोन पर धोखोधड़ी वाले लिंक से बचने की जरूरत: आशीष महर्षि
दोनों न्यूज रूप में ट्रेनिंग की शुरुआत करते हुए आशीष महर्षि ने विश्वास न्यूज के अग्रणी मीडिया साक्षरता कार्यक्रम 'सच के साथी' के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि विश्वास न्यूज के मीडिया साक्षरता कार्यक्रम का समाज के हर वर्ग के बीच जा कर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही फर्जी पोस्ट से बचाना है। आज के वक्त हर कोई अपना काफी समय स्मार्टफोन पर बीता रहा है। ऐसे में उन्हें फर्जी पोस्ट या धोखाधड़ी वाले लिंक के जरिए आसानी से निशाना बनाया जा सकता है।
फेक न्यूज से बचने का 'SURE' तरीका
प्रतिभागियों से रूबरू होते हुए देविका मेहता ने श्योर (SURE) कॉन्सेप्ट के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के झूठ, अफवाह, फर्जी सूचनाओं से बचाने में SURE की भूमिका महत्वपूर्ण है। कोई भी सूचना आपके पास आए, तो सबसे पहले SURE से इनश्योर हो जाएं।
S का मतलब यहां See से है। मतलब कोई भी सूचना को सबसे पहले ध्यान से देखें। इसी तरह U का मतलब है - अंडरस्टैंड यानी समझें। फिर आता है R, आर से मतलब रीचेक से है। इसी तरह E का मतलब है- Execute अर्थात इसके बाद ही किसी सूचना को आगे बढ़ाएं या उपयोग में लें।
AI वीडियो को कैसे पहचानें?
उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के नुकसान और फायदे बताते हुए टूल्स की मदद से बनाए जा रहे डीपफेक वीडियो और तस्वीरों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कई डीपफेक वीडियो का उदाहरण देते हुए कहा कि आजकल इस तरह के कई फर्जी वीडियो किसी प्रोडक्ट के प्रमोशन के लिए बनाए जा रहे हैं।
ऐसे वीडियो को पहचानने के लिए उन्हें ध्यान से देखें। अक्सर इन वीडियो में कुछ खामियां होती हैं। जैसे- चेहरे के हावभाव बनावटी दिखेंगे या अंगुलियों की बनावट या संख्या कुछ अजीब हो सकती है।
ट्रेनिंग में देविका मेहता ने विस्तार से फैक्ट चेकिंग टूल्स और जेनेरेटिव एआई के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी सूचना आपको संदिग्ध लगती है, तो उसके बारे में कीवर्ड से गूगल पर ओपन सर्च किया जा सकता है। इससे उनके असली सोर्स तक पहुंचा जा सकता है।
इससे आपको वायरल मैसेज की सच्चाई पता लग जाएगी। साथ ही आशीष महर्षि और देविका मेहता ने उदाहरण के माध्यम से वायरल तस्वीरों को गूगल लेंस टूल की मदद से जांचना भी सिखाया।
'सच के साथी' विश्वास न्यूज का जागरूकता के लिए प्रशिक्षण और मीडिया साक्षरता अभियान है। विश्वास न्यूज जागरण समूह की फैक्ट चेकिंग टीम है, जो अब तक करीब छह करोड़ से अधिक नागरिकों को जागरूकता अभियान से जोड़ चुकी है।
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