Rajasthan: चित्तौड़गढ़ के बस्सी में मिले पाषाणकालीन औजार
सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि चितौड़गढ़ जिले में बस्सी के गढ़ के निकट विंध्य की पहाड़ी में पाषाण कालीन ओजोरों की खोज हुई है। ये सभी औजार पहाड़ी की पश्चिम ...और पढ़ें

उदयपुर, सुभाष शर्मा। चितौडगढ़ जिले में बस्सी के गढ़ के निकट विंध्य की पहाड़ी की ढलान पर पाषाण कालीन ओजोरों की खोज हुई है। यहां पाषाण काल में उपयोग ली जाने वाली हाथ हाथ की कुल्हड़िया, क्लीवर, स्क्रैपर आदि बडी संख्या में मिले हैं। ये औजार अशुलियिन परम्परा के हैं, जो 15 लाख से 3 लाख वर्ष पूर्व के बीच के हैं। इससे पहले इस तरह के औजार बूंदी में भी खोजे गए हैं।
पाषाण कालीन हथियारों की खोज को लेकर जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय के संघटक साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल ने बताया कि हाल ही चिंतन ठाकर, स्वाति वर्मा द्वारा सर्वेक्षण के दौरान पाया गया कि चितौड़गढ़ जिले में बस्सी के गढ़ के निकट विंध्य की पहाड़ी में पाषाण कालीन ओजोरों की खोज हुई है। ये सभी औजार पहाड़ी की पश्चिमी ढलान में पाए गए। सभी औजार सेल चट्टान के ऊपर कोलूवियल जमाव में पाए गए हैं। अशुलियिन परम्परा के यह औजार दो संस्कृति, निम्न पुरा पाषाण काल तथा मध्य पाषाण काल के हैं। यानी इनके उपयोग और निर्माण की तिथि भारत में 15 लाख से 3 लाख वर्ष पूर्व के बीच की है।
इससे पहले इस तरह के औजार बूंदी जिले में बनास औरे बेडच की घाटियों में मिले, जिन्हें पिछली शताब्दी में 60 के दशक के दौरान प्रख्यात पुरातत्वविद वीएन मिश्र ने खोजा था। उनके द्वारा खोजे गए औजार मुख्यतः नदियों की घाटियों में थे, किन्तु यह पहली बार बस्सी में पहाड़ी के ढलान पर मिले हैं। इस युग के उपकरणों की खोज आज से सौ साल पहले सीए हैकर ने जयपुर और इंदरगढ़ में की थी। उनके खोजे हस्त कुल्हाड़ी कोलकाता के भारतीय संग्रहालय में प्रदर्शित हैं। प्रो. खरकवाल ने चित्तौड़गढ़ के बस्सी में किए गए सर्वेक्षण दल में केपी सिंह, प्रायंक लेशरा के अलावा पुरातत्व विभाग केे एक दर्जन से अधिक शोधार्थी शामिल थे।

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