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    क्या कांग्रेस छोड़ेंगे सचिन? अपनी ही सरकार के खिलाफ पदयात्रा पर निकले पायलट, गहलोत का पलटवार - 10 बड़ी बातें

    By Jagran NewsEdited By: Narender Sanwariya
    Updated: Fri, 12 May 2023 06:00 AM (IST)

    सचिन पायलट ने कहा कि मेरा परिवार 40 साल से राजनीति में बड़े पदों पर रहा है। कोई एक फूटी कौड़ी का आरोप नहीं लगा सकता है। हमारी निष्ठा और ईमानदारी पर वि ...और पढ़ें

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    क्या कांग्रेस छोड़ेंगे सचिन? अपनी ही सरकार के खिलाफ पदयात्रा पर निकले पायलट, गहलोत का पलटवार - 10 बड़ी बातें

    अजमेर, एजेंसी/जागरण संवाददाता। राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भ्रष्टाचार व भर्ती परीक्षाओं के पर्चे लीक होने के मुद्दे को लेकर अपनी ही सरकार के विरुद्ध गुरुवार से पांच दिवसीय "जनसंघर्ष यात्रा" प्रारंभ कर दी है। अजमेर से शुरू यह पैदलयात्रा 125 किमी का सफर तय कर 15 मई को जयपुर पहुंचेगी। पायलट व समर्थक प्रतिदिन 25 किमी पैदल चलेंगे। अजमेर में जनसभा में पायलट ने कहा कि राजनीति आग का दरिया है और तप कर जाना है। जनता ने लूटने का लाइसेंस किसी को नहीं दिया है। यह यात्रा भ्रष्टाचार के खिलाफ है। पूर्व की वसुंधरा राजे सरकार में 40 हजार करोड़ रुपये के शराब, खान एवं बजरी घोटाले हुए। हमने जनता से वादा किया था कि सत्ता में आने पर जांच कराएंगे, लेकिन साढ़े तीन वर्ष तक गहलोत सरकार ने जांच नहीं कराई। मैंने उनको कई पत्र लिखे। अनशन किया और अब पदयात्रा पर निकलना पड़ा।

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    उन्होंने कहा कि पहले कांग्रेस मात्र 21 सीटों पर रह गई थी। हम खून-पसीना बहाकर कांग्रेस को सत्ता में लाए। पायलट बोले-पर्चे लीक होने की जांच होनी चाहिए। इधर, कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह कांग्रेस की नहीं, पायलट की यात्रा है। आलाकमान इस पर मंथन करेगा। यात्रा की संगठन से अनुमति नहीं ली गई। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर रंधावा ने शुक्रवार को दिल्ली में बैठक बुलाई है।

    मुख्यमंत्री गहलोत पर साधा निशाना

    सीएम गहलोत द्वारा विधायकों पर भाजपा से दस-बीस करोड़ रुपये लेने के आरोपों पर पायलट ने कहा कि गलत आरोप लगाए गए हैं। मेरा परिवार 40 साल से राजनीति में बड़े पदों पर रहा है। कोई एक फूटी कौड़ी का आरोप नहीं लगा सकता है। हमारी निष्ठा और ईमानदारी पर विरोधी भी अंगुली नहीं उठा सकता है।

    मंत्रियों और विधायकों को यात्रा से रखा अलग

    रणनीति के तहत पायलट ने अपने खेमे के मंत्रियों और विधायकों को यात्रा से दूर रखा। सूत्रों के अनुसार पायलट खेमे की रणनीति है कि यदि आगामी दिनों में कांग्रेस आलाकमान पायलट के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है तो ये मंत्री और विधायक विरोध में इस्तीफे दे सकते हैं।

    पोस्टरों में राहुल और खरगे को जगह नहीं

    यात्रा को लेकर पायलट समर्थकों की ओर से जगह-जगह लगाए गए पोस्टरों में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को जगह नहीं मिली। पायलट के बड़े फोटो के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के चित्र हैं। होर्डिंग्स भी लगाए गए हैं।

    विधानसभा चुनाव से पहले की तैयारी

    एक महीने पहले, पूर्व उपमुख्यमंत्री ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में रहने के दौरान कथित भ्रष्टाचार को लेकर "निष्क्रियता" पर गहलोत को निशाना बनाते हुए एक दिन का उपवास रखने की पार्टी की चेतावनी को खारिज कर दिया था। अभी-अभी शुरू हुई पांच दिवसीय यात्रा ने पार्टी नेतृत्व पर और दबाव बढ़ा दिया है क्योंकि उसे साल के अंत में होने वाले चुनावों में राज्य को बनाए रखने की उम्मीद है।

    'आग की नदी है, हमें इसे तैरकर पार करना होगा'

    पायलट को 2020 में गहलोत के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने पर राज्य कांग्रेस प्रमुख के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। पायलट ने कहा कि मैं अपनी आवाज उठाने, आपकी आवाज सुनने और लोगों की आवाज बनने के लिए यह यात्रा निकाल रहा हूं। चिलचिलाती गर्मी को "आग का दरिया" बताते हुए उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि यह आग की नदी है, हमें इसे तैरकर पार करना होगा।

    कुछ साथ-कुछ ने बनाई दूरी

    टोंक से विधायक पायलट के ट्रेन से अजमेर पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया। उन्होंने जयपुर हाईवे पर एक सभा को संबोधित किया। यात्रा शुरू होते ही पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने उनका अनुसरण किया। कुछ ने तिरंगा थामा और उनके समर्थन में नारेबाजी की। पूर्व मंत्री राजेंद्र चौधरी व स्थानीय नेता महेंद्र रालवता मौजूद रहे। लेकिन ज्ञात असंतुष्ट विधायक अजमेर से दूर रहे।

    इनको बनाया मुद्दा

    भ्रष्टाचार के अलावा, यात्रा सरकारी भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक के मामलों पर केंद्रित है। राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) अजमेर में स्थित है, जो कि वह निर्वाचन क्षेत्र भी है जहां से पायलट अतीत में संसद के लिए चुने गए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि उनका मार्च किसी के खिलाफ नहीं बल्कि मुद्दों को लेकर है।

    गहलोत पर साधा निशाना

    उन्होंने गहलोत के कथित दावे पर सवाल उठाया कि "कोई राजनेता या अधिकारी" पेपर लीक मामलों में शामिल नहीं था, यह पूछने पर कि इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा के घर पर कोई बुलडोजर क्यों नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि जब कोई पेपर लीक हो जाता है और रद्द कर दिया जाता है, तो यह लाखों छात्रों और उनके माता-पिता के बीच सिस्टम में अविश्वास पैदा करता है।

    विरोधियों ने भी हमारी वफादारी और ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया

    उन्होंने जनसभा में कहा कि हमारे साथियों ने खून-पसीना बहाकर कांग्रेस को सत्ता में लाया और लोगों को आश्वासन दिया कि हम सत्ता में आने पर कार्रवाई करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतेगी क्योंकि उसने चुनाव प्रचार के दौरान भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था। पायलट ने कहा कि वह 23 साल से राजनीति में हैं, उनके पिता एक केंद्रीय मंत्री और मां एक सांसद थीं, यहां तक कि विरोधियों ने भी उनकी वफादारी और ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया।

    राजे के मासिक करोड़ों रुपये जा रहे हैं

    गहलोत पर 'गदर' (देशद्रोही) या 'निकम्मा' (बेकार) जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि यह सार्वजनिक डोमेन में है कि जब उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा सम्मान के साथ बात की है तो उन्होंने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पायलट ने कहा कि गहलोत ने खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर आरोप लगाते हुए कहा था कि राजे के मासिक करोड़ों रुपये जा रहे हैं, लेकिन जब पार्टी ने सरकार बनाई तो उन्होंने आरोपों पर कार्रवाई नहीं की।

    आज होगी मीटिंग

    शुक्रवार को दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की बैठक में इस मुद्दे के उठने की उम्मीद है। डोटासरा और राजस्थान के सह प्रभारी काजी मुहम्मद निजामुद्दीन, अमृता धवन और वीरेंद्र राठौर बैठक में हिस्सा लेंगे।

    यहां बिगड़ी बात

    गहलोत द्वारा 2020 के विद्रोह में शामिल विधायकों पर भाजपा से पैसे लेने का आरोप लगाने के कुछ दिनों बाद यह मार्च आया है। पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने तब राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की मांग की थी। उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के पद से बर्खास्त कर दिया गया था। राजस्थान में 2018 में पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही राजस्थान में कांग्रेस के दो मजबूत नेता मुख्यमंत्री पद को लेकर आपस में भिड़े हुए हैं। पायलट ने दोहराया कि वह भ्रष्टाचार पर कार्रवाई के लिए पिछले डेढ़ साल से गहलोत को लिख रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।