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    राजस्थान के बांधों की बढ़ी प्यास, सूखने के कगार पर पहुंचे तालाब

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Thu, 05 Jul 2018 03:50 PM (IST)

    जल संचयन की कमी के कारण राजस्थान में अधिकांश छोटे-बड़े बांध, तालाब और नदियां सूखने के कगार पर पहुंच गए है । ...और पढ़ें

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    राजस्थान के बांधों की बढ़ी प्यास, सूखने के कगार पर पहुंचे तालाब

    जयपुर, जागरण संवाददाता।  राजस्थान में मानसून ने भले ही दस्तक दे दी है, लेकिन इस बार थार के नदी, तालाब और बांधों की प्यास पिछले साल से बहुत अधिक बढ़ गई है । जल संचयन की कमी के कारण राजस्थान में अधिकांश छोटे-बड़े बांध, तालाब और नदियां सूखने के कगार पर पहुंच गए है ।

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    प्रदेश में सबसे अधिक जल भराव क्षमता के चार अंतरराज्यीय बांध है । इन चारों बांधों में वर्तमान में पानी की स्थिति बेहद चिंताजनक है । सिंचाई विभाग के आंकड़ों के अनुसार पंजाब की हिस्सेदारी वाले भांखड़ा बांध में जून 2017 में कुल पानी की उपलब्धता 2.56 एमएएफ थी, जबकि इस वर्ष भांखड़ा बांध में पानी की उपलब्धता कुल क्षमता का मात्र 21 फीसदी बचा है । भांखड़ा के साथ साथ पोंग बांध और रणजीत सागर बांध में पानी की स्थिति में गिरावट दर्ज की गई है । जून 2017 में पोंग बांध में पानी की उपलब्धता 1.4 एमएएफ थी जो जून 2018 में कुल क्षमता का मात्र 17.8 फीसदी रह गई ।

    पंजाब की हिस्सेदारी वाले रणजीत सागर बांध में पानी की उपलब्धता में बड़ी गिरावट आई है । जून 2017 में रणजीत सागर बांध में कुल 1.84 एमएएफ पानी उपलब्ध था. लेकिन अभी इस वर्ष जून में रणजीत सागर बांध में पानी की उपलब्धता मात्र 1.3 एमएएफ रह गई । बांध में पानी की उपलब्धता कुल भराव क्षमता का 50 फीसदी बचा है । मध्यप्रदेश से जुड़े गांधी सागर बांध की स्थिति और भी चिंताजनक है ।

    गांधी सागर बांध में जून 2017 में पानी की उपलब्धता 3.41 एमएएफ थी, इस साल जून महीने तक वह 60 फीसदी से ज्यादा गिर गई है। अब यहां सागर की कुल भराव क्षमता का मात्र 21 फीसदी पानी बचा है । बड़े बांधों में पानी की उपलब्धता के संकट के बाद प्रदेश के छोटे और मध्यम बांध और नदियां दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गए है । राज्य के 22 बड़े बांधों में भराव क्षमता का 45 फीसदी पानी ही बचा है ।

    मध्यम एवं लघु श्रेणी के 262 बांधों में पानी की उपलब्धता मात्र सात फीसदी ही रही है । इसके साथ ही राज्य के 547 छोटे बांधों में पानी की उपलब्धता मात्र 2 फीसदी रह गई है, जो बेहद चिंताजनक है ।