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    Rajasthan : 'राज मंदिर' नहीं देखा, तो समझो जयपुर ही नहीं देखा.. !

    By Amit SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 02:16 PM (IST)

    दो दशक पहले जब देश में सिर्फ ठांठिया सिनेमा हॉल थे तब जयपुर का राज मंदिर अपनी भव्यता के कारण अलग पहचान रखता था। दौर बदला पर राज मंदिर का नूर बरकरार रहा। ये आज भी पर्यटकों की पहली पसंद है।

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    जयपुर के पांच बत्ती चौराहे के पास स्थित राज मंदिर सिनेमा हॉल।

    अमित शर्मा, जयपुर। आप जब भी किसी शहर में घूमने जाते हैं, तो वहां के प्रमुख धार्मिक स्थल, वार मेमोरियल, बाग-बगीचे, ताल तलैया, किले-हवेलियां आपकी फेहरिस्त में होते ही हैं। यह सिलसिला देश में नहीं विदेशों में भी है। पर जयपुर कोई घूमने आता है तो राज मंदिर जरूर देखना चाहता है। कम से कम पहली बार जयपुर आ रहे पर्यटक के जेहन में ये हसरत होती ही है। राजमंदिर केवल नाम में मंदिर है, है ये एक सिनेमाहॉल। और सिनेमा हॉल भी ऐसा, जो मल्टीप्लेक्स की सुविधाओं को आज भी टक्कर दे रहा है।

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    1966 में रखी गई थी नींव

    जयपुर की व्यस्ततम और विख्यात मिर्जा इस्माइल रोड (एम आई रोड) के पांच बत्ती चौराहे के पास राज मंदिर 1966 से है। भूरामल सुराना ने ये सिनेमाहॉल बनाया था। आज आप मल्टीप्लेक्स में जाते हैं, कई स्क्रीन एक साथ, एयर कंडीशनर लॉबी, सब सुविधाएं मिलती हैं। पर अब कल्पना कीजिए आजादी के महज दो दशक बाद बने इस सिनेमा हॉल की। क्या विजनरी प्लानिंग रही होगी। एक हजार से ज्यादा दर्शकों के बैठने की क्षमता वाले इस हॉल से ज्यादा इस की वेटिंग लॉबी को देखना रोमांचक होता था, आज भी है। 1966 में इसकी नींव उस वक्त के मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया ने रखी थी और 1 जून 1976 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी ने उद्घाटन किया था। पहली फिल्म जो यहां लगी वो थी 'चरस'। ऑनलाइन टिकट बुकिंग का युग आने से पहले यहां लम्बी लाइन लगा करती थी बुकिंग के लिए। बहुत से पर्यटक हताश ही लौटते थे, क्योंकि फिल्म चाहे कितनी ही फ्लॉप हो रही हो, यहां शो फुल ही रहते थे।

    बंद हो जाने की अफ्वाह

    कोविड के दौरान राज मंदिर जब बंद रहा तब इसके स्थाई बंद होने की अफवाह फैली थीं। करीब एक दशक पहले इसके मालिकों द्वारा सरकार को यहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने की अर्जी देने की खबरें भी आईं थी। लेकिन मंजूरी नहीं मिली, क्योंकी राज मंदिर महज सिनेमा हॉल नहीं, एक बड़ा टूरिस्ट डेस्टिनेशन है। विदेशी पर्यटक हों या देसी, जयपुर पहली बार आने पर राज मंदिर जरूर देखना चाहते हैं। और ये सब माउथ पब्लिसिटी का नतीजा है।

    ये है टिकट

    राजमंदिर में प्रीमियम, डायमंड, एमरल्ड और रूबी चार सिटिंग एरिया हैं। प्रीमियम बालकनी कमोबेश फुल रहती है। इसका किराया मौजूदा समय में 400 रुपए प्रति सीट है। डायमंड 300 रुपए। एमरल्ड 170 और रूबी 110 रुपए। बड़ी हिट होने पर टिकट के रेट फ्लकचुएट भी हो जाते हैं। जो रुतबा मुंबई के मराठा मंदिर का है, वही राजस्थान में राज मंदिर का है। मल्टीप्लेक्स युग से पहले ही ये फुल एयर कंडीशन्ड सुपर लग्जरी सिनेमा हॉल के रूप में लोगों का मनोरंजन करता रहा।

    अगर आप अब तक जयपुर नहीं घूमें हैं, और निकट भविष्य में घूमने का इरादा रखते हैं, तो राज मंदिर के लिए 3 घंटे निकालिएगा। फिल्म से ज्यादा सिनेमा हॉल देखने में मज़ा आएगा। सच्ची।