दो साल बाद उदयपुर में शिल्प महोत्सव का आगाज, 25 की जगह आठ राज्यों के कलाकार ही आए
लोक कला और संस्कृति के पश्चिम भारत के सबसे बड़े शिल्पग्राम महोत्सव का आगाज मंगलवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया। हालांकि यह महोत्सव कोरोना महामारी के प्रभाव से अछूता नहीं रहा। शिल्प एवं कला संबंधी बाजार में बीस फीसदी ही विक्रेताओं को जगह प्रदान की गई है।
उदयपुर, संवाद सूत्र। लोक कला और संस्कृति के पश्चिम भारत के सबसे बड़े शिल्पग्राम महोत्सव का आगाज मंगलवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया। हालांकि यह महोत्सव कोरोना महामारी के प्रभाव से अछूता नहीं रहा। पहले जहां इस महोत्सव में देश के 25 राज्यों के कलाकार तथा शिल्पकार भाग लेते थे, अबकी बार महज आठ राज्यों के कलाकार यहां आए हैं। इसी तरह शिल्प एवं कला संबंधी बाजार में बीस फीसदी ही विक्रेताओं को जगह प्रदान की गई है।
पश्चित क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र की ओर से आयोजित इस शिल्पग्राम महोत्सव का उद्घाटन राज्यपाल कलराज मिश्र ने किया। जहां विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। मेला दो साल बाद आयोजित होने से अच्छी खासी भीड़ की उम्मीद थी लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते जारी प्रतिबंध तथा केवल उन्हीं लोगों को प्रवेश, जिन्होंने दोनों टीके लगवा लिए उन्हें ही प्रवेश दिया गया।
इसके चलते पहले दिन जहां मेले में हजारों की संख्या मौजूद रहती थी, के मुकाबले सैकड़ों की संख्या में सीमित ही लोग मेले में पहुंचे। बाड़मेर के लंगाजी फॉक गीत गाने वाले वाले कलाकारों के अलावा अन्य कुछ प्रदेश के कलाकार भी सांस्कृतिक प्रस्तुति के लिए आमंत्रित थे लेकिन कोरोना की वजह से उन्हें फिलहाल आम आदमी तथा मेले में शामिल मेहमानों से दूर ही रखा गया।
राज्यपाल बोले, पूरा भारत देखना है तो शिल्पग्राम आओ
राज्यपाल कलराज मिश्र ने शिल्पग्राम महोत्सव का आगाज करते हुए कहा कि राजस्थान की परम्परा पधारो म्हारे देश की है। इस प्रदेश की संस्कृति स्वागत और अभिनंदन की है। यदि पूरे भारत के दर्शन करने हैं तो शिल्पग्राम मेले में किए जा सकते हैं। यहां देश के पच्चीस राज्यों की लोक कला और शिल्पियों का प्रदर्शन देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश इस साल आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है ऐसे समय कलाओं का आयोजन भी हमारी संस्कृति का पर्व है। जहां पूरा भारत यहां एकत्रित हो जाता है।
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