Rajasthan Marriage Registration Bill: सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान विवाह पंजीकरण विधेयक को दी चुनौती
Rajasthan Marriage Registration Bill सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान विवाह पंजीकरण विधेयक को चुनौती दी गई है। विधानसभा में पारित किए गए विधेयक के तहत अब प्रत्येक विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। बाल विवाह का भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा में पिछले दिनों विवाह का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया है। इस विधेयक का विधानसभा में तो विरोध हुआ ही था। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार द्वारा पारित कराए गए विधेयक को चुनौती दी गई है। विधानसभा में पारित किए गए विधेयक के तहत अब प्रत्येक विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। बाल विवाह का भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। भाजपा ने विधानसभा में बहस के दौरान बाल विवाह के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता को गलत बताया था। भाजपा का कहना था कि यह बाल विवाह को कानूनी मान्यता देने जैसा कदम माना जा सकता है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इस विधेयक का विरोध किया। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस विधेयक को किसी भी हालत में लागू नहीं होने देने की बात कही है। इसी बीच, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई याचिका में कहा गया कि नया विवाह कानून बाल विवाह को सही ठहराता है। बाल विवाह पंजीकरण की अनुमति देने से खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है। इससे बाल शोषण के मामलों में बढ़ोतरी होगी। यूथ बार एसोसिएशन ने यह याचिका दायर की है। याचिका में राजस्थान अनिवार्य विवाह पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 की धारा आठ की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है। इसमें बाल विवाह के पंजीकरण की बात कही गई है।
विधेयक में ये है प्रावधान
विधेयक में प्रावधान है कि शादी के समय लड़की की उम्र 18 साल से कम और लड़के की उम्र 21 साल से कम है, तो उनके माता-पिता को 30 दिन के भीतर इसकी सूचना पंजीकरण अधिकारी को देनी होगी। बाल विवाह के मामले में लड़के और लड़की के माता-पिता तय प्रपत्र में जानकारी देंगे। इस पर बाल विवाह का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। भाजपा विधायकों ने जब विधानसभा में इस विधेयक पर आपत्ति जताई थी तो संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा था कि बाल विवाह पंजीकरण का मतलब इसे वैधता देना नहीं है। बाल विवाह कराने वालों के खिलाफ पंजीकरण के बाद भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में सीमा बनाम अश्वनी कुमार के मामले में फैसला देत हुए निर्देश दिए थे कि सभी तरह के विवाहां का पंजीकरण अनिवार्य है।