राजस्थान हाईकोर्ट ने शादी बचाने के लिए दुष्कर्म का मामला किया खारिज, जज बोले- केस चला तो वैवाहिक रिश्ते में पड़ेगी खलल
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बलात्कार के मामले को इस आधार पर खारिज कर दिया कि आरोपी और पीड़िता अब विवाह कर चुके हैं। कोर्ट ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही से विवाह की पवित्रता प्रभावित होगी। जस्टिस अनुप कुमार ढंड ने यह भी स्पष्ट किया कि यह निर्णय विशेष परिस्थितियों के तहत लिया गया है और इसे अन्य मामलों में मिसाल नहीं बनाया जा सकता।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दुष्कर्म का मामला खारिज कर दिया, जब उसने उस महिला से शादी कर ली, जिस पर उसने कथित रूप से यौन हमला किया था। कोर्ट ने कहा कि वह शख्स अब दुष्कर्म पीड़िता का पति बन चुका है। इसलिए ऐसी स्थिति में उसके खिलाफ कोई भी आपराधिक कार्रवाई करना उस 'शादी की पवित्रता को तबाह' कर देगी, इसलिए सारे आरोप हटा लिए जा रहे हैं।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस अनुप कुमार ढंड ने अपने फैसले में कहा कि यह फैसला "शादी की विशेष परिस्थिति" को देखते हुए लिया गया है और इसे किसी भी अन्य मामले में मिसाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि अगर शिकायतकर्ता और आरोपी आपस में समझौता कर लें, तो भी दुष्कर्म के आरोप स्वतः नहीं हटाए जा सकते।
"शादी एक पवित्र बंधन है" - कोर्ट का बयान
जस्टिस ढंड ने सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व फैसलों का हवाला दिया, जहां विवाह के बाद आरोपी पुरुषों के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप हटा दिए गए थे। उन्होंने कहा, "शादी दो व्यक्तियों के बीच एक पवित्र संबंध है, जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर पर जुड़ाव स्थापित करता है। प्राचीन हिन्दू कानूनों के अनुसार, विवाह और इसके संस्कार 'धर्म' (कर्तव्य), 'अर्थ' (संपत्ति) और 'काम' (इच्छा) की पूर्ति हेतु किए जाते हैं।"
न्यायाधीश ने कहा, "विवाह केवल एक रस्म नहीं है, बल्कि एक पवित्र बंधन है, जिसे आपराधिक कार्यवाही जारी रखकर नष्ट नहीं किया जा सकता।" कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में आपराधिक कार्यवाही जारी रहती है तो यह दंपति के वैवाहिक जीवन में खलल डाल सकती है।
महिला की शिकायत
यह फैसला उस शिकायत के बाद आया जिसमें महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी का वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। लेकिन जब महिला गर्भवती हुई तो आरोपी ने उसे गर्भपात की गोलियां दीं और फिर संपर्क करना बंद कर दिया।
हालांकि, शिकायत दर्ज होने और अदालत में सुनवाई के बीच, दोनों ने आपस में निकाह कर लिया और फिर दुष्कर्म के आरोप रद करने की याचिका दायर की गई। अदालत ने इस स्थिति को देखते हुए मामला खारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी
इसी महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर असफल प्रेम संबंध को दुष्कर्म का मामला नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी उस समय आई जब सुप्रीम कोर्ट एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने अपनी पूर्व मंगेतर की ओर से लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों को रद करने की मांग की थी।
महिला के वकील ने कोर्ट में कहा कि यह रिश्ता 'अरेंज्ड' था, न कि 'रोमांटिक', इसलिए 'सहमति' का सवाल अलग ढंग से देखा जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को दोनों पक्षों की नज़रों से देखना ज़रूरी है और न्यायालय का किसी एक लिंग के प्रति झुकाव नहीं है। कोर्ट ने अंत में कहा कि वह व्यक्ति की याचिका पर आगे सुनवाई करेगा।
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