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    'भ्रूण अगर जीवित पाया गया तो...', 13 साल की दुष्कर्म पीड़िता को कोर्ट ने दी अबॉर्शन की मंजूरी; जज ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा?

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Tue, 11 Mar 2025 04:18 PM (IST)

    राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को भ्रूण समाप्त करने की इजाजत दी है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को भ्रूण समाप्त करने की इजाजत नहीं देना उसे आजीवन बच्चे की देखभाल करने की जिम्मेदारी देने के लिए मजबूर करने के समान होगा। कोर्ट ने ये भी कहा कि यदि इस दौरान भ्रूण जीवित मिलता है तो उसे समस्त आवश्यक चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाए।

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    राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की बच्ची को भ्रूण समाप्त करने का आदेश दिया।(फोटो सोर्स: पीटीआई)

    आईएएनएस, जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट  ने 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता को 28 सप्ताह का भ्रूण समाप्त करने की अनुमति दी। कोर्ट ने कहा कि अगर पीड़िता को गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति नहीं दी जाती है तो उसकी मानसिक स्थिति को गंभीर चोट पहुंच सकती है।

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    कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता को भ्रूण समाप्त करने की इजाजत नहीं देना उसे आजीवन बच्चे की देखभाल करने की जिम्मेदारी देने के लिए मजबूर करने के समान होगा। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश सुनाया।

    भूर्ण अगर जीवित मिले तो राज्य सरकार उठे उसका खर्चा: कोर्ट

    कोर्ट ने महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट के अधीक्षक को कहा है कि वह पीड़िता के परिजनों की सहमति से गर्भपात की प्रक्रिया पूरी करें। कोर्ट ने ये भी कहा कि यदि इस दौरान भ्रूण जीवित मिलता है तो उसे समस्त आवश्यक चिकित्सा सुविधा प्रदान की जाए। राज्य सरकार उसके पालन-पोषण का खर्च उठाए।

    याचिका में अधिवक्ता सोनिया शांडिल्य ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता 13 साल की बच्ची है। उसका करीब 27 सप्ताह का गर्भ है। बच्ची के अनचाहे गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जाए।

    गौरतलब है कि 24 सप्ताह से पहले अदालत की अनुमति की आवश्यकता नहीं है। राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व वाली एक खंडपीठ ने कहा था कि, एमटीपी अधिनियम, 1971 के तहत, गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक के गर्भपात के लिए अदालत की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, इस अवधि से परे, कानूनी अनुमति आवश्यक है। 

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