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राजस्थान का गुजरात और मध्यप्रदेश के साथ जमीनी विवाद, 280 बीघा जमीन विवाद का हल निकालने को लेकर कसरत शुरू

280 बीघा जमीन का मालिकाना हक तय करने को लेकर तीनों राज्यों के अधिकारी सर्वे करने में जुटे हैं।राजस्थान और गुजरात के बीच 200 बीघा जमीन का विवाद पिछले 65 साल से चल रहा है। वहीं राजस्थान व मध्यप्रदेश के बीच करीब 80 बीघा जमीन को लेकर विवाद जारी है।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 27 Jul 2021 01:08 PM (IST)Updated: Tue, 27 Jul 2021 01:08 PM (IST)
राजस्थान का गुजरात और मध्यप्रदेश के साथ जमीनी विवाद, 280 बीघा जमीन विवाद का हल निकालने को लेकर कसरत शुरू
राजस्थान का गुजरात और मध्यप्रदेश के साथ जमीनी विवाद

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के बीच पिछले 65 साल से चल रहा जमीनी विवाद अब सुलझ सकता है। 280 बीघा जमीन का मालिकाना हक तय करने को लेकर तीनों राज्यों के अधिकारी सर्वे करने में जुटे हैं। राजस्थान और गुजरात के बीच 200 बीघा जमीन का विवाद पिछले 65 साल से चल रहा है। वहीं राजस्थान व मध्यप्रदेश के बीच करीब 80 बीघा जमीन को लेकर विवाद जारी है।

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राजस्थान का गुजरात के साथ यह है विवाद

गुजरात के साथ राजस्थान का विवाद 200 बीघा जमीन को लेकर है । इसमें राजस्थान में उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील और गुजरात के बनासकांठा जिले की पोसीना तहसील के सीमावर्ती गांव शामिल है। दोनों राज्यों के बीच जमीन सेटलमेंट के समय से ही विवाद शुरू हो गया था। इस मुद्दे को लेकर दोनों राज्यों के आदिवासी कई बार आमने-सामने हो चुके हैं। वह जमीन पर अपना-अपना हक जमाते हैं। दोनों ही राज्यों के अधिकारी 65 साल में कई बार बैठक कर चुके हैं।

कोटड़ा के ठीक सामने गुजरात की तरफ जमीन पर वहां के कुछ आदिवासियों ने इस बार खेती कर ली। इसका कोटड़ा के आदिवासियों ने विरोध किया। तनाव बढ़ा तो राजस्थान के राजस्व विभाग व गुजरात के अधिकारियों ने करीब दो माह पहले एक बार फिर विवाद का समाधान निकालने को लेकर चर्चा की। इसके बाद अब जमीन का सर्वे शुरू हुआ है। उदयपुर के जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा और राजस्व विभाग के अधिकारी सर्वे के दौरान मौजूद रहते हैं।

राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच विवाद

गुजरात की तरह राजस्थान का मध्यप्रदेश के साथ भी जमीन को लेकर विवाद लंबे समय से चल रहा है। राजस्थान में प्रतापगढ़ जिले के कोटड़ी और मध्यप्रदेश के ठीकरिया गांव के बीच 80 बीघा जमीन को लेकर विवाद चल रहा है। इस विवाद का हल निकालने के लिए दोनों राज्यों के अधिकारियों की बैठक हुई। इस बैठक में सामने आया कि 80 बीघा जमीन की खातेदारी के आराजी नंबर और रकबा दोनों राज्यों के राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज है।इस बैठक में फिलहाल यथास्थिति रखने पर सहमति बनी।

उल्लेखनीय है कि 8 जुलाई से कोटड़ी ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा योजना के तहत नदी किनारे वृक्षारोपण कार्य शुरू किया गया था। इस कार्य को मध्यप्रदेश के किसानों व सरकारी कर्मचारियों ने विरोध कर वृक्षारोपण कार्य बंद करवा दिया। अरनोद के तहसीलदार सुरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि दोनों राज्यों के अधिकारियों की रतलाम जिले की पिपलोदा तहसील में 15 जुलाई को बैठक हुई थी। इस बैठक में उच्च स्तर पर फैसला होने तक यथास्थिति कायम रखने का फैसला लिया गया। 


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